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________________ पाइअवि-18 न्नाणकहाण भाविणीकम्मरेहाण | कहा-५९ ॥१३॥ एवं वासवेण सव्वसुरिंदेहिं नरवइसएहिं हत्थाहत्थि घेप्पमाणो रायकुमारो विव पसंसिज्जमाणो उववूहिज्जंतो वणिज्जतो परिवंदिओ पूइउण पसंसिओ-अहो ! धण्णो अहो ! कयत्थो अहो ! सलक्खणो अहो ! अम्हाण वि एस संपूण्णमणोरहो त्ति जो अणंतरभवे सिद्धिं पाविहिइ, ण अण्णहा जिणवरवयणं ति । उवएसोरणुंदरस्स दिटुंतं, नच्चा इंदपसंसियं । सिग्धं हि भवनित्थारो, होज्ज जत्तं तहा कुण ॥ ५८ ॥ महापुरिसदसणपहावम्मि रण्णुदुरस्स अट्ठावण्ण- इमी कहा समत्ता ॥ ५८॥ -कुवलयमालाओ 'कम्मपरिणामो नन्नहा होई' इहभाविणीकम्मरेहाणं एगृणसट्ठिअमी कहा-॥ ५९ ॥ देविंदा दाणविंदा च, नरिंदा च महाबला । नेव कम्मपरिणामं, अण्णहा काउमीसरा ॥ ५९॥ मणोरमनामनयरम्मि रिउमद्दणो नाम नरिंदो होत्था, तस्स पुत्तो न सिया, एगच्चिय भाविणी नाम कण्णा अस्थि, सा उ रण्णो पाणेहिंतो वि अहिगप्पिया, तओ सो राया पुत्तीए पुवं सिणाणपाणभोयणाई कराविऊण पच्छा नरिंदो सिणाण-भोयणाई कुणेइ । सा कण्णा कलायरियस्स समीवम्मि कलाओ सिक्खेइ । तत्थच्चिय नयरे निद्धणो धणदत्तो नाम सेट्टी वसइ, तस्स सत्तपुत्ताणं उवरिं कम्मरेहो नाम अट्ठमो पुत्तो समुप्पण्णो, सो सव्वओ लहुत्तणेण पिउणो ॥१३॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600189
Book TitlePaia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Original Sutra AuthorKastursuri, Chandrodayvijay
Author
PublisherVijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
Publication Year1971
Total Pages232
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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