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________________ पाइअविन्नाणकहाए ॥१३३॥ Jain Education International तस्स नामं विहियं । तर्हिपि समत्थतवस्सिलोग विस्सामणाइपरो विविहाभिग्गह गहणिक्कबद्धलक्खो अपमाई पज्जेते संहणं काऊणं सुक्कपमुहकप्पेसुं तियससोक्खं अणुभवित्ता जहक्कमं जाव सम्बट्ठे सव्वुक्किट्ठे सुहं अणुभविकणं एत्थ मणुअतो कयपव्वज्जो निरवज्जविहियाराहणविहाणो निम्मोहो विणट्टभवनिमित्तकम्मंसो सुरासुरविहियमहिमो सिवसुहं संपाविथा । उवएसो— खुल्लगसमणस्सेहं, पमायजणियभवदुक्खरिंछोलिं । सोच्चा मुसाहुसेवा - विहाणसत्ता सया होह ॥ १०१ ॥ पमायपसत्तखुड्डगमुणिणो एगुत्तरसयइमी कहा समत्ता ॥ १०१ ॥ - संवेगरंगसालाए । सम्मत्तपढमलक्खण-उवसमभावे दमसार - रिसिणो दुरुत्तरसयइमी कहा- ॥ १०२ ॥ कोण हि हारवियं, उप्पज्जेत च केवलं नाणं । दमसारेण य रिसिणा, उवसमजुत्तेण पुण लद्धं ॥ १०२ ॥ इह जंबूदीवंमि भरहवित्तंमि कयंगला नाम नयरी आसि । तत्थ सीहरहो नाम राया, तस्स सुणंदा नाम महादेवी, तीए कुक्खिसंभवो दमसारो नाम पुत्तो, सो य बालत्तणंमि बावत्तरिकलानिउणो मायपियर हिययाणंदजणगो अव इट्ठो होसी । जोब्वर्णमि य पिउणा विसिद्वरायकन्नापाणिग्गहणं कराविऊणं जुवरायपयंमि ठविओ सो सुहेण कालं विथा । एगया तन्नयरा सन्नपएसे भयवं सिरिमहावीरसामी समोसरिओ, देवेहिं समोसरणं विहियं परिसा मिलिया तइया सिंहरहराया विसपुत्तो सपरियणो महिड्ढीए वंदणङ्कं समागओ । छत्तचामराइरायचिन्हाई दूरे विमोत्तणं परमेस रं For Personal & Private Use Only रा (mm) दमसाररिसिणो M) कहा- १०२ ॥१३३॥ www.jainelibrary.org
SR No.600189
Book TitlePaia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Original Sutra AuthorKastursuri, Chandrodayvijay
Author
PublisherVijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
Publication Year1971
Total Pages232
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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