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________________ पाइअविनाणकहाण उवएसो मरुदेवाए नायं, संसारासारभावदसणयं । नच्चा भविया तुम्हे, धरेह चित्ते सया एयं ॥९८॥ भावविसद्धीए सिरिउसहजिणीसरजणणीमरुदेवाए अट्ठाणउइयमी कहा समत्ता ॥९८॥ -उवएसमालाए । कणयकेउनरिंदस्स कहा-९९ ॥१२४॥ रज्जलोहेण पुत्ताणं पि विडंबणाविहायगस्स कणयकेउनरिंदस्स नवनउइयमी कहा-॥२९॥ रज्जे मूढो जीवो, छिंदइ पुत्ताण अंगुवंगाई । इह कणयकेउनरवइ-नियंसणं बोहदाणटुं ॥१९॥ तेयलिपुरंमि कणयकेऊ नाम नरवई होत्था । तस्स पउमावई नाम पट्टदेवी आसि । तस्स तेयलिपुत्तनामो मंती, तस्स पोट्टिला नाम पिया अहेसि । सा अईव वल्लहा अस्थि । अह रज्जसुहं भुंजमाणस्स कणयकेउस्स पुत्तो जाओ, तया राया चिंतेइ-इमो पुत्तो वढंतो समाणो मईयं रज्जं गिहिस्सइ त्ति भएण सो तस्स हत्थच्छेयं कासी । कमेण बीओ पुत्तो उप्पण्णो, तस्स पायच्छेयं विहेइ, एयाए रीईए कासई अंगुलिच्छेयं, कस्सइ नक्कच्छेयं, कस्सइ कासइ कण्णच्छेयं नयणच्छेयं च कासी । एवं सव्वे वि पुत्ता तेण खंडियंगा रज्जाहिगाररहिया कया । एवं बहुकालंमि गए पुणो वि पउमावई देवी सुहसुमिणसूइअं गभं धरित्था । तइया मंतिभज्जाए पोट्टिलाए वि गब्भो धरिओ । तइया मंतिं आगारिऊणं पउमाबईदेवीए साहियं-'मए सुहसुमिणसूइओ गब्भो धरिओ अस्थि, अओ जम्मसमए सो भवया पच्छन्नभावेण पालणीओ, जहा सो रज्जाहिगारी होज्जा । भवओ वि सो सहेज्जगरो होहिई' त्ति ॥१२४॥ Jain Education For Persona Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600189
Book TitlePaia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Original Sutra AuthorKastursuri, Chandrodayvijay
Author
PublisherVijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
Publication Year1971
Total Pages232
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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