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________________ पाइअवि सागरसेट्टिणो न्नाणकहाण कहा-९३ ॥१०५॥ सासणस्स पहावणाए कमुणिणो बाणउयमी कहा समत्ता ॥१२॥ -उपदेशप्रसादात् । अइलोहम्मि सागरसेट्ठिणो तिनउइयमी कहा - ॥ ९३ ॥ अइलोहो न कायव्यो, सव्यपावाण बप्पओ । जेणेह लोहदोसेण, सागरो सागरं गओ ॥१३॥ इह भरहखेत्तम्मि सागरतीरवट्टि-झाणसागरनामम्मि नयरे चउवीसकोडिसुवण्णसामी सागरनामो सेट्ठी परिवसइ । सो य कयंतो विव करदिट्टी, सप्पो विव कुडिलगई, पामरोव्व कलहमई अस्थि । तस्स चउरो पुत्ता संति ताणं चउरो बहूओ। कालेणो सेट्ठिणो भज्जा मच्चं पाविआ । सेट्री किवणत्तणेण किण्हतरलियचित्तवित्ती गिहम्मि चेव चिट्ठेइ । तस्स दिट्ठीए को वि गिहजणो भव्वभोयणं सुवत्थपरिहाणं सिणाणदाणाइयं च कुणेइ तेण सद्धिं पइदिणं कलहं विहेइ, का कहा भिक्खायराणं ?, कागाईहिं पि चइजइ तस्स दुवारं । सागरसेट्टिगेहम्मि सवे जणा सीयंति । पुत्तबहूओ सच्छंदवित्तीए सेट्टिम्मि सुत्तम्मि रत्तीए भुंजेइरे कीलेइरे य । एगया नहंसि बच्चंती एगा जोइणी गवक्खम्मि संठियाओ भिलाणमुहाओ ताओ ण्हूसाओ पासिऊण कोउगेण ताणं पुरओ ओइण्णा । ताहिं गोत्तदेवीव वंदिया । मोयगदाणेहिं च भिसं तोसिया सा जोगिणी पाढसिद्ध नहगमणविज्जामंत्तं दाऊणं पक्खिणीव गयणं उड्डेइत्था । एगया निसाए भत्तारपमुहेसु सुत्तेसुं ताओ ण्हूसाओ मंतेण अहिवासियं रुक्खं आरोहित्ता रयणदीवं गया । सव्वत्थ कीलं काऊणं राईए चरिमजामम्मि गिहे समागच्च ताओ तं रुक्खं जत्थ तत्थ मोत्तण सुविया । एवं सब्बया निसाए कुणति । अन्नयापसुबंध-दोहाइचिंताकारगेण कम्मकरेण रुक्खस्स गमणागमणकारण वियाणिउं इच्छमाणेण राईए पच्छन्नभावेण विलोइयं । वियाणियं ॥१०५॥ Jain Education For Personal Private Use Only I nlainelibrary.org
SR No.600189
Book TitlePaia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Original Sutra AuthorKastursuri, Chandrodayvijay
Author
PublisherVijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
Publication Year1971
Total Pages232
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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