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________________ पाइअवि कट्ठमणिणो कहा-९२ न्नाणकहाए ॥१०२॥ सढोवरि सदं कुज्जा, आयरम्मि य आयरं । तए मे लुंचिया पक्खा, मए ते मुंडियं सिरं ॥ तओ मए नियवेरं वालियं ति वोत्तूणं सुगो अण्णहिं चलिओ। सुगस्स मइमंतस्स, नियवेरनिवारणे । नियंसणं इहं सोच्चा, होज्जा जारिसे तारिसो ॥९१॥ 'सढे सढत्तर्ण कुज्जा' इह वेसा-सुगाणं एगणउयमी कहा समत्ता ॥११॥ -पबंधपंचसईए सासणस्स पहावणाए कट्ठमुणिणो बाणउइयमी कहा-॥ ९२ ॥ दुट्टसीला जया नारी, सत्तूओ वि भयंकरा । नायं कट्टमुणिस्सेह, सासणस्स पहावगं ॥९२॥ रायगिहनयरम्मि कट्ठसेट्ठी बसइ । तस्स वज्जा भज्जा, पुत्तो देवप्पिओ लेहसालाए पढेइ । सेट्रिस्स गेहम्मि अवच्चाई पिव तिण्णि सुगसारिगा- कुक्कुडा संति । तहा एगो माहणपुत्तो नियघरम्मि रक्खिओ। सो सेट्टी एगया नियगेहभारं भज्जाए सुगस्स य अप्पिऊणं लच्छीनिमित्तं विएसम्मि चलित्था । अह माहणपुत्ते जोव्वणं पत्ते वज्जा तेण सद्धिं विसथसोक्खाई भुंजमाणा चिट्टेइ । ताणं तारिसं सरूवं दळूणं सारिगा सुगं साहित्था-'पावकम्मपरे एए निवारेमो'। सुगो वयासी 'उवएसो हि मुक्खाणं, पकोवाय न संतये । पयपाणं भुजंगाणं, केवलं विसबद्धणं ॥ संपयं समयो नत्थि । १ आदरे। ॥१०॥ lain d ata 199 For Personas Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600189
Book TitlePaia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Original Sutra AuthorKastursuri, Chandrodayvijay
Author
PublisherVijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
Publication Year1971
Total Pages232
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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