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________________ पाइअवि न्नाणकहाणी सिवनरि दस्स कहा-८३ ॥८५॥ पावकम्माओ सिग्धं निवारणिजो त्ति' एवं वियारित्ता कुरूवा चंडालरूवधारिणी मइलबत्था हत्थम्मि नरकवालं धारयंती | मज्जं पिवंती मंसं भक्खंती सा सिरिमई देवी रायपहम्मि जलच्छंटं कुणंती सणियं सणियं चलित्था । तइया सहामज्झसंठिओ महीवई तारिसिं विलेयं दणं वयासी मंति ! एसा चंडाली मगम्मि जलच्छंट कहं बिहेइ ! । भूवाणाए मंतीसरो चंडालीपासम्मि गंतूणं वारिच्छंटाछंटणकारणं पुच्छित्था। हत्थे नर-कवालं ते, मइरामांसभक्खिए !। भूवो पुच्छेइ चंडालि ! मग्गे किं खिप्पए घडा ॥ सहाए एच्च चंडाली, सुणते पुढवीसरे । वयासि त्ति तया चारु-यमवयणभासिणी ॥ कूडसक्खी मुसाबाई, कयग्यो दिग्घरोसणो । कयाई चलिओ मग्गे, तेणेसा खिप्पए घडा ॥ मंती वायासी चंडालि !, मेवं वयाहि संपयं । चंडाला नहि सुझंति, जलेण एहविया अवि ॥ चंडाली वयासी कूडसक्खी मुसावाई, कयग्यो दीहरोसणो। जलेण मज्जपाणाई, न सुज्झए कयावि य ॥ वुत्तंच चित्तं अंतग्गयं दुटुं, तित्थजले न सुज्झइ । जलेहिं बहुसो धोयं, सुरापत्तमिवाऽमुहं ॥ एवं सव्वं मंतिमुहाओ सुणिऊण महीसेण आहविया सा जलच्छंट खिवंती निवसमीवम्मि समागया । सहाए उवरिं १-वनिताम् । २-धौतम् । ॥८॥ Jain Education International For Personas Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600189
Book TitlePaia Vinnan Kaha Trayam Part 02
Original Sutra AuthorKastursuri, Chandrodayvijay
Author
PublisherVijay Nemi Vigyan Kastursuri Gyanmandir
Publication Year1971
Total Pages232
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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