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________________ प्रकाशकीय प्रकाशकीय , आजसे तीन साल पहले वि. सं. २०३८ साल में इडरशहर के (इलादुर्गतीर्थ) चातुर्मासमें पू. ३ कर्नाटक केसरि आचार्यदेव श्रीमद्विजय भद्रंकरसूरीश्वरजी महाराज को कितने हस्तलिखित अलग-अलग पन्नेका बंडल पू. शान्तमूर्ति पंन्यासप्रवर श्री पद्मविजयजी गणिवरने दीया था। उस सब पन्नेका संशोधन करने से इसमें श्री मौनएकादशी और श्री ज्ञानपंचमी गद्यमय कथा पू. अप्रसिद्ध मुनिवर की प्राप्त हुई । संस्कृत के प्राथमिक अभ्यासी को दोनो कथा उपयोगी बनेगी, अतः प्रकाशित करने की भावना हुई। इस मौनएकादशी कथामें श्री सुब्रतश्रेष्टोकी की कथा नहिं होनेसे प्रवचन में कथा उपयोगी होनेसे उपदेशप्रासादग्रंथमें से सुव्रतश्रेष्ठीकी कथा साथमें प्रस्तुत की है । उस दो पर्वचरित्र के साथ पूज्यपाद व्या.वा. संस्कृत आदि भाषाके अनेक ग्रंथ निर्माता आचार्यभगवान श्रीमद्विजय लब्धिसूरीश्वरजी महाराज कृत श्री मेस्त्रयोदशीपर्वकथा जो अलभ्य थी, उसकी मांग ज्यादा होनेसे पुनः प्रकाशित करनेका हमे सुअवसर प्राप्त हुआ। पू. संस्कृतविशारद आचार्यदेव श्रीमद्विजय भद्रंकरसूरीश्वरजी महाराजने अति परिश्रम लेकर तीनो पर्वचरित्र का संपादन किया है । अफसंशोधन आदि में पू. उपाध्यायजी पुण्यविजयजी प्रकाशकीय Jain Education Ixonal For Personal & Private Use Only Paw.jainelibrary.org
SR No.600187
Book TitleParv Charitra Trayam
Original Sutra AuthorBhadrankarsuri
Author
PublisherBhadrankarsuri
Publication Year
Total Pages46
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size4 MB
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