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________________ धरमनिधि तणो निवेश ॥ २१ ॥ लाजीयो राजीयो चित्तमाहे, वचन सुणि तेहना हृदय दाहे ॥ प्रतिवचन तास न शकंत देश, राय जिनहर्ष बहु शरम हो ॥॥ ॥दोहा॥ ततकण ते बाला तिहां, बालादित्य समान ॥ विस्मय करती सह नणी. आवी जाणि निधान ॥१॥ निजपति वामांगें जश्, नन्नी तरुणी तेह ॥ राजा पूजे नरनणी, किशो कीयो ते एह Son॥ तुजने नृप प्रतिबोधवा, विद्या कीघी एह ॥ विषय माहे राची रह्यो, नारी रूप गुणेह ran ३॥ दृष्ट नष्ट कण एकमां, नृप जिम ए इंजाल ॥ तिम स्त्री राज्य विनूति ए, पाये सहु विसराल ॥४॥ आपण नोग न गेमीयें, रहीये तेहसुं लाग॥ तो गेमे आपण नणी, तेहरों केहवोराग sa ___ ढाल चोथ॥ रागमल्हार ॥ चिंतामणि महारी चिंता चूर ॥ एदेशी॥ | राजा मनमां धरयो संवेग, राणी सुख जाएयो नदवेग ॥ जेहवू दीवुमें इंजाल, तेहq ए सहुत सुख विसराल ॥१॥ कोमी सोनैया दे तास, जालकनी पूरी आश ॥ अन्यदिवस तेणे नगरी नद्यान, आव्या देवप्रन्न सुरिप्रधान ॥॥ राय चाल्यो नमवा गुरु पाय, नगरलोक पण साधे श्राय॥ valतीन प्रदक्षिण दे नूप, बिधिशुं वांद्या चितनी चूंप ॥३॥ आगल बेग लोक नरेश, मधुरस्वरे मुनि Nो नपदेश ॥ जिम बपैयो पामी मेह, हरखे तिम हरखे सहु तेह ॥४॥ यथा ॥ लज्जातो नयतो sal वितर्क विधितो मात्सर्यतः स्नेहतो, लोनाद्येच हानिमान विनयात् शृंगार कीादितः॥ दुःखात्कौIsal तुक विस्मयाद् व्यवहृते वात्कुलाचारतो, वैराग्याच नजति धर्मममलं, तेषाममेयंफलम् ॥ ५॥ लाजथी.नयथी वितर्कना प्रकारथीएटतर्कवितर्कथी.मात्सर्त्यथीतांपारको नत्कर्ष सही काय Salनहि तेाश्री, स्नेहश्री, लोनश्री, हठी, अनिमानश्री, विनयथी, शृंगार अने कीर्ति विगेरेश्री, एटले| Jain Education NA abonal For Personal and Private Use Only www.jahanorary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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