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________________ वीशण ॥ चोपा॥ स्थान Salनिर्मला गुण विचारि, ताहेरि शरण एह माहारी ॥ तेह अरिसाथ रण करण जावं, तुम सुप्रसाद Isalजसवाद पानं ॥१५॥ चाल ॥ एहवं कही नारीने, मूकी राजा पास ॥ तेह गयो क्षणमांहिं, क्यायहीं धरिय नल्लास ॥ बहिनतणीपरें करी नृप, थापी निजआवास ॥ तेटले नन्न मंगलथी, चरण Na पड्यां नूर तास ॥१३॥ नुजदंग परचम पमीयां, अंग सहु वृतफल जेम जमीयां ॥ रायदरबारमें । सहु देखे, अयो विस्मय सहुने अलेखे ॥१५॥ चाल ॥अंगतणा अवयव, देखी विद्याधर नार ॥ ओलखीया निजपतिना, यतना करि तिणवार ॥ ते नारि नगी, जूठी करि सबल पोकर ॥ मूरी रे ९ मूठी, मूओ मुज जरतार ॥१५॥ दोहा ॥ माहरा पति तणां, अंग ए नूपति, एहने साथै हवे,याSalश हुं सती ॥ काष्ट चित्ता तुमे मुज करावो, वार सुविचार प्रन्नुजी म लावो ॥ १६॥ चाल ॥ राजामात्य प्रमुखनी, आज्ञा ले तेह ॥ अग्नि प्रवेश करीने, बाली बाली देह ॥ विस्मय धरतो, दुख्ख, करतो, नृप बेठो जाम ॥ धसमसतो हसतो, विद्याधर आव्यो ताम ॥१७॥ तामते कामनी राय पासे, आवी मागे प्रिया द्यो नलासें ॥ राय मन खेद पामी विमासे, एह तो वात दीसे तमासे ॥ १७ ॥ विद्याधर आगले सहु, नाखी वात विशेष ॥ तुजके तुज नारी, कीधो अगनि प्रवेश ॥ तीव्रदुखार्त श्रइ, विद्याधर नाखे ताम ॥ तुम सरिखा शरणागत, वत्सल करुणा धाम ॥ १५ ॥ न्यायनी रीत तुं राय जाणे, तुज नणी लोक न्याये वखाणे ॥ शेष जिम नु नार साहे, तेम तुं धरणीनो नार वाहे ॥ २० ॥चाल ॥ मोटा जेह महोत, बोले किम वाचा तेह ॥ वाचा खेमे नही किमही, जो मे निज देह ॥ लोक सहू ताहरे, आधार विचार नरेश ॥ तुं जगबंधव न्याय, Jain Education Internabonal For Personal and Private Use Only wwwjanmelinrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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