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________________ निपमा एहनें देनं विचारी ॥॥ चाल ॥ किसे प्रयोजन तुं, आव्यो दरबार मोकार ॥ करजोमी निजशीष नमावी, कहे तेह तेणिवार ॥ हुँ विद्याधर बुं महा, राय मणिप्रन नाम ॥ एह सुलोचना प्राणप्रिया, माहारी सुखगम ॥५॥ सुखतणी गम ए मुजनारी, एह नारि घणी मुज्ज प्यारी एहविना जे दिन रात जाये, मुजन्नणी तेह षटमास पाये ॥६॥ एहनो विरद वियोग, खमी न salशकुं क्षणमात ॥ एहनें राखू नयणा, आगल हूं दिनरात ॥ महारुं ए जीवन, एहनुं है जीवन प्राण ॥ पारेवा पारेवी, नीपरें प्रीति सुजाण ॥ ७॥ जाणे लीलावनें ख्याल कीजें एह जातीहती घणेकसाजे॥ माहरो अरी वजदाह नामें, खेचरे ए हरि नोग कामें ॥ ७॥ ते विद्याधर साथै, करी संग्राम नरेश ॥ बाली ए सुकुमाली, वाली यौवन वेश ॥ ते वैरी मुजने इहां, हणवा आवे ने राय|कोपतणा आटोप नरयो,हीयमे न समाय ॥ ए॥ तेह न समे किमे कोपनरीयो, तास नलव्यो । बल जाणे दरीयो॥ तेनणी माहरी एह नारी, सरण राखो तुमे कृपाधारी ॥ १० ॥ एहवो न को नही जिहां, राखु सुंदर नार ॥ एहवी नारी देखी, सहूनें वधे विकार ॥ तुं राजसर Nal श्सर, परनारीनो वीर ॥ तुजगुण गंगाजल, नज्वल निर्मल जिम खीर ॥ ११॥ यतः॥ शास्त्रंसुनिश्चितधिया परिचिंतनीयं, स्वात्मीकृताऽपि युवतिः परिरहणीया, ॥ आराधितोऽपि नृपतिः परिशंकनीयः, शास्त्रे नृपेच युवतौच कुतःस्थिरत्वं॥१॥अर्थ-सारीरीते निश्चित बध्विमेशास्त्रनं परिचिंतन करवू अर्थात् शास्त्रसारीपेठे विचारेलुं होय तो पण तेनुं वारंवार मनन करवं, पोताने आधीन करेली स्त्री- पण चोतरफथी रक्षण करवं, सारीरीते सेवेला राजानी पण शंका राखवी; शास्त्र, राजा, अने युवान स्त्रीने विषे स्थिरपणुं क्यांधी होय ? एटले ए कहेली वस्तुओ वश प्रश्ने एम जाणवू नहि. ॥१॥ Jain Educ a tional For Personal and Private Use Only wwwmamelionary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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