SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ वीश ॥१॥ XXXXXXXX किन्नरी, मुजनें तेह प्रकाशोजी ॥ खे० ॥ ११ ॥ ते नर जाखे चंपा नगरीयें, धनावह सारथ वाहोंजी || | धनद सरिखो रे धन संपतिकरी, दिन दिन अधिक ना होजी ॥ खे० ॥ १२ ॥ पुण्यतया कर्त्तव्य सदा करे, दोइ वस्तु गृह सारोजी ॥ अतिसुंदर निर्मल एकांवली, मोतीनो हारोजी ॥ खे० ॥ १३ ॥ बीजी नाग्य सौभाग्यवती सती, रूप गुणे अभिरामोजी ॥ कन्या हारमना कुलमंडिणी, निरुपमतेनुं नामोजी ॥ खे ॥१४॥ राकापतिवदनी मृगलोयणी, रतिसरसती अवतारोजी ॥ गजगति मल पति चाले चमकती, गुणनो नावे पारोजी ॥ खे० ॥ १५ ॥ देवकन्या सारिखी कन्यका, यौवन सन्मुख थायोजी ॥ तीन जुवनमांहे शोधी न मीले, दीठी आवे दायोजी ॥ खे० ॥ १६ ॥ वर विज्ञान दीयो मुज देवता, देखी तेहनो रूपोजी ॥ में चित्र्युं बे ए चित्र पाटीयें, निजवृत्ति काजें |स्वरूपोजी ॥ खे० ॥ १७ ॥ तास वचन जिनदत्तें सांजल्युं, मोह्यो रूप निहालीजी ॥ कहे जिनदर्ष दोनयण खुंची रह्यां, मोहें शुभगति गालीजी ॥ खे० ॥ १८ ॥ सर्वगाथा. ॥ ४५ ॥ ॥ दोहा ॥ निजकंदोरो मणिजड्यो, जिनदतें दीघो तास ॥ लीयुं चित्र ते पासथी, बांधी तेहशुं प्राश || १ || घर आवी बेठो हवे, मन लागुं ते साथ ॥ लीन थइ गयो यातमा, जिम लोभी मन थ॥ २ ॥ काम तज्यां व्यापारनां, चूक्यां घरनां काम ॥ खागा पीला खेलणा, मूकी बेगे ताम ॥ ३ ॥ बाप कहे रेदी करा लाख वित्त व्यय कीध ॥ जोला शुं जाएगी करी, एह चित्र तें लीध ॥ ४ ॥ कोण धूतारे तुज जली, देइ ए चित्राम ॥ केरु कंदोरो लइगयो, मूकाव्या सदुकाम ॥ ५ ॥ धन दोहितुं नृपावतां, तुं जागे नही पूत || एहवा सोदा जो करीश, तो पामीश घरसूत्र ॥ ६ ॥ फासू ए धन विश्वो, बाप कमायुं जेह ॥ पण दोहितुं वे मेलतां, तुं नवि जाणे तेह ॥ ७ ॥ विष सरिखुं लाग्यं वचन, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only स्थान‍ ॥१॥ www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy