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________________ XXXXXXXXXXXXXXXX चमक्यो चित्त निरीह ॥ तेजी न सहे ताजणो, पाखर नसहे सिंह ॥ ८ ॥ ॥ ढाल ॥ त्रीजी ॥ कंत तमाकु परिहरो ॥ए देशी ॥ सूत विलखो यो, सांजली कुवचन तेह मोरालाल || घरबोमी जानं परो, इणमां नही संदेह मो० ॥ शे० ॥ १ ॥ बापजणी धन वालहुँ, धन उपर दीयुं चित्त मो० ॥ प्रीति जिसी धनशुं धरे, तिसी न मुऊशुं प्रीति मो० ॥ शे० ॥ २ ॥ स्वारथ सदुनें वालहो, विणस्वारथ नही काम मो॥पुत्र कमावे तो जलुं, नही तो अखुटनाम मो|| शे० ॥ ३ ॥ नाह वाल्हो नारी जणी, जो लावे घाट घमावि मो० ॥ मायमी पण कहे पुत्र, जिम तिम करी घन ब्याव मो० ॥ शे० ॥ ४ ॥ यतः - मइके प्रागें धरे कबु आपके, त्यों त्यों कहे मेरो पुत कमान ॥ सैा संबंधी कै काम जो प्रावै तो दोस्त हमारो कहै भैया सान ॥ नारीकौ जो कबु घाट घमावै तो, नारी कहे मेरो नाह खटान || स्वास्थको सब नेह जसा विरा स्वारथ जाणिकै जै है वटान ॥ धन माने राजा प्रजा, धनशुं सहुने प्रीति मो० ॥ वांक किशो मुज बापनो, जगनी एहज रीति मो० ॥ ० ॥५॥ बापतणूं तो धन हवे, मुजने खावा नीम मो० ॥ घन परिघल लावुं नहि, घरे नावुं तां सीम मो० ॥६॥ एहवुं मनमांहे धरी, साहसीक बलवंत मो० ॥ आधी रातें एकलो, नीसर्यो बुद्धिवंत मो० ॥ शे ॥७॥ यतः - साहसीयां लबी हुवे, नहु कायर पुरसांह || काने कुंडल रयणमय, कल कज्जल नयलाह | ॥ढाल ॥ चालतो चंपा पुरीगयो, सार्थवाहने गेह मो० ॥ सुरतरु दीगे सुपनमें, देखी वाध्यो नेह मो० ॥ शेण ॥ ८ ॥ प्रीति घरी बहु चित्तमें, आदर दियो अपार । मो० ॥ आसन बेसण आपियां, नत्तमनो आचार मो० ॥ शे० ॥ ए ॥ यतः - सज्जन श्रव्या प्रादुला, आपे चार रतन्न || पाणी वाणी बेसणुं, आदरसेंती अन्न ॥ १ ॥ ढाल || सुगुएा गया परदेशमे, तिहांपण मुहधो मो० ॥ गुण देखी गुणवं Jain Eductternational For Personal and Private Use Only DODDDDDD DDDDDDDDDDDD rary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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