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बहु नपगार, नार लह्यो पण नहिय लगार ॥ ॥ मोहोटा ते न करे अहंकार, मोहोटा चाले नमी अपार ॥ मोहोटा ते परमेश्वर किया, मोहोटे मोहोटा गुण कालीया ॥१॥ प्रजा तणो राजा प्रतिपाल, वैरीजननो जाणे काल ॥ थयो जिन हर्ष श्श्यो नूपाल, पूरी यश ए दशमी ढाल ॥२॥ सर्वगाथा॥॥
॥दोहा॥ al पुर नद्याने अन्यदा, साधु तो परिवार॥ गामनगर पुर विहरता, आव्या मुनि दमसार ॥१॥
केवलानी नासकर, गति अगतिना जाण ॥ सर सेवित निज पद कमल, गुणमणि परमनिहाण R ॥ राजा आव्यो वांदवा, सामंत मंत्रि सहित ॥ साथे नारि मनोरमा, निर्मल जेहनुं चित्त ॥३॥
देई तीन प्रदक्षिणा, वांदी श्रीगुरुराय यथायोग्य बेग सहू, गुरु सन्मुख चित्त लाय ॥४॥ कनक sdकमल उपर रह्यो, जाणे नग्यो नाण ॥ देवा मांझी देशना, मीठी अमिय समाण ॥५॥
ढाल अगीयारमी ॥ जंबूहीप मकार, पुरहथियानर ॥ ए देशी॥ | त्रिनुवननो आधार, जलनिधि जलधर, अर्क इंदु आधारिया ए॥ सुर नर असुराधीश, तेहनी संपदा, आपे सुख गुणगारिया ए॥१॥ चिंतामणि सुरधेनु, सुरवृक्षादिक, सहु आधीन धरम तणे ए॥ श्रीजिनधर्म पसाय, शिवसुख शाश्वतां, लहियें सदगुरु श्म नणे ए॥२॥ शुक्लपद जेम चं, अधिक कला वधे, धरमथकी तेम संपदा ए॥सिंहथकी जेम श्वान, नासे बीहतो, तेम नासेस
आपदा ए॥३॥ साधु श्रावकनो धर्म, बिहुँ ने कह्यो, मूल सम्यक्त्व वखाणी ए॥ श्रीजिनवभरनी नक्ति, दियमे नल्लसे, समकित निर्मल जाणीयें ए॥४॥बे प्रकार जिनन्नक्ति,व्यतःनावतः,
अनेक पूजा पहेली कही ए ॥ आझाराधन तास, स्तवना नावना, ए बीजी पूजा सही ए॥५॥
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