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________________ XXX अंदर मटाने बे. " एवीते श्रीमाचार्यना योगशास्त्रमां कहेलुं बे. " हवे देवपाल नरिंदनी, मंत्रीश्वर शेठ सामंतो रे । कोइ न माने आगन्या, निज कुल बल गर्व वदंतो रे ॥ स० ॥ १७ ॥ नृप चिंते श्रापुं नवा, महामात्य शेठ सामंतो रे । शमन याये मूलगा, थाये नतपात अनंतो रे ॥ | स० ॥ १८ ॥ प्रतिहार मूकी करी, तेकाव्यो शेठ नरिंदे रे || अभिमानें ग्राव्यो नहीं, जिनदर्ष क | आनंदे रे ॥ स० ॥ ११७ ॥ सर्वगाथा ॥ २३१ ॥ दोहा ॥ राजा दूनमनें थइ, तटिनी तटें गयो ताम् ॥ जिहां जगनाथ कुटीरमां, करे वीनती श्राम ॥ १ ॥ राज्य दियो मुऊनें प्रनो, जोजन घृतविरा जेम || महाऐश्वर्य प्रभावविण, प्रसन्न यइ दियो केम ॥ ॥ २ ॥ जो दीयो तो करि मया, माहारो करो प्रताप । सहुको माने प्रागन्या, दहदिशि की रति व्याप ॥ ३ ॥ मुऊनें कोइ न लेखवे, माने नही मुज आण ॥ नगर तणो राजा थयो, न करे कोइ प्रणाम ॥ ४ ॥ राजानी जो ग्रागन्या, शीश न धारे लोक ॥ तो होलीना राय जिम, पामी पदवी फोक ॥ ५ ॥ ढाल दशमी || चोपाइनी देशी ॥ देवी आवी ततक्षण आम, देवपालनुं करवा काम ॥ वत्स मकर तुं खेद लगार, वात करूं ते हियमें धार ॥ १ ॥ माटीनो एक वारण करो, चढीने वाडी संचरो || सदु कोइ विस्मय पामशे, तुझने आवी शिर नाम || २ || देव प्रभावें हाथी तेह, जीव सहित थाशे तसु देह || लोक मानशे ताहारी प्राण, मनश्री दूरें मूकी मारा || ३ || पण जिनें पूजा मनरंग, करजे सावधान नबरंग, कामगवी जेम दुःख कापशे, तुझने कामित फल प्रापशे ॥ ४ ॥ देव वचन इशुं सांजली, राजानी पूगी मन Jain Educemational DDDDDDDD For Personal and Private Use Only मैर्नन www.totry.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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