SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 24
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ ॥दोहा॥ स्थान केवलज्ञानी परम गुरु, मुनिवर श्रीदमसार ॥ राजा परजा आगलें, नाखे धर्म विचार ॥१॥ alमीठी साकर जेहवी, वाणी परम रसाल ॥ सान्नलतां मन नल्लसे, हीयमे हर्ष विशाल ॥२॥ संशय टाले मन तणा, बूजे सहु नरनार ॥ एहवी वाणी नपदिशे, नवियगने हितकार ॥ ३॥ ढाल आठमी॥ चतुर चित्त चेतो रे ॥ ए देश। ॥ . श्रीगुरु एणी परें उपदिशे नवि बूमोरे, ए संसार असार नविक प्रतिबूझो रे॥सार नही इसमें l किश्यो नण॥ दुःखनो ए नंमार न ॥१॥ अश्रिर पदारथ नतपन्या न ॥ दीसे ते सहु जाय Nalन ॥ जलपर्पोटानी परें न ॥ कणमें खेरु थाय न ॥ २ ॥ धन धन करता सदु गया न धन न गयुं किण साथ न ॥ कोण राणा कोण राजवी न ॥ गया पसारी हाथ न ॥३॥sal Isalकाया पण ए कारमी न ॥ विणसंतां नहीवार ॥ न ॥ समे पमे कण एकमां न० ॥ जेम Ral सनतकुमार जण ॥४॥ नारी ए ले माहरी न ॥ मतको जाणो एम न॥ निजस्वारथ अण-IN Valपूगते भ ॥ तोमी नाखे प्रेम न ॥ ५ ॥ स्नेह घणो मायमी तणो न ॥ जीवथकी पणहोय Saro॥ चल्वणी मांगयो मारवा न ॥ ब्रह्मदत्तने जोय न॥६॥ वालो लागे पुत्रने नाN Balजनम संबंधे बाप न ॥ अवयव द्या पुत्रना न कनककेतु कीयो पाप न ॥॥ पिता पुत्रने । कारणे न ॥सुखना करे नपायन ॥ वैरवशे नृप कोणि ना हणीन श्रेणिक राय नाना नेह न कीजें कारमोन ॥ किणहीशुं चित्त लाय न ॥ वाल्हा ते वैरी हुवे न ॥ ताय नाय Palकोण माय न ॥ ए ॥ मनुष्य जन्म पामी करीन॥ गेमी सयल नपाधि न ॥ दुःखकारण ॥जा जाणी सहुन ॥ मनमां धरो समाधि न ॥१॥माणस जन्म दुर्लन्न अन॥ वली जिनना Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy