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________________ ॥१०४॥ वीश कुमरती देखी कला, चंदनी यौवन पूर ॥ ह्रदय राग सायर वध्यो, राणीने जरपूर ॥ ३ ॥ विरह व्यथाथी उपनी, पीमा राणी देह ॥ किमे करी शमे नहीं, सूतां कदली गेह ॥४॥ बेटी राणी मालती, नाखंती निःश्वास ॥ करमाली जिम मालती, वेदन विवाय नदास ॥ ४ ॥ कामातुर थर कामिनी, चिंते चित्त मोझार ॥ कुमर इहां आवे किमे, तो सफल करूं अवतार ॥ ५ ॥ राणी आदेश करी, ब्यावी घाइ बोलाय ॥ गौरवसुं नृप सुतनणी, वचन कहे चितलाय ॥ ७ ॥ ॥ ढालरजी ॥ माखीना गीतनी देशी ॥ राणी बोलावे हवे, रूमा पधारो राज || कुमरजी ॥ चितरां चिंतवियां हवे, फलशे सघलां काज कुमरजी ॥ मैं तो थासां, अरज करावां ॥ अराबां पाये पमाबां, मानो माहरा बोल ॥ कुम० ॥ ए क ॥ १ ॥ थारा दरिसारि घणेरी, मांनें ढुंती नूल || कु० ॥ दीगे दर्शन रानलो, नागी सघली ना ॥ २ ॥ कु० ॥ नपगारी जगतला, परदुख जंजण दार | कु० ॥ वचन किसुं कहां लाजरा, मेलो द्यो एक वार ॥ कु० ॥ ३ ॥ ० ॥ देह बलेबे माहरी, काम अनि रे जोर || कु० ॥ संगमजल शीतल करो, थाने करूं निहोर || कु० || ४ || में० || मेदेर करो मो नपरे, हुतो याहरी दास || कु० ॥ थाने खोलो पाथरां, पूरो अबला आश || कु० ॥ चंडे, चंदन चिंतामणि, उत्तम नर, जलधार ॥ कुण् ॥ लोकतणा नृपगारने, सरज्यां सरजणदार ॥ कुण् ॥ ६ ॥ ० ॥ श्रासरिखा साजण जिके, किम पीहडे महाराज || कु० ॥ घणो का थाने | किसो, राखो माहरी लाज || कु० ॥ ७ ॥ राजा तो गरढो दुआ, नावे माहरे दाय ॥ कु० ॥सूरत थाहरी मम वसी, प्रेम अमीरस पाय || || || || श्राव्यो वे ते प्रादुणो, जोब नियुं दिन चार ॥ कु॥ राख्योहि रहेशे नहि, ज्युं परदेशी पार || कु० ॥ ए ॥ ० ॥ थाइरो जोबन फिले रह्यो, मे पण ० ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only स्थानण् ॥१०४॥ www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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