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वीश कुमरती देखी कला, चंदनी यौवन पूर ॥ ह्रदय राग सायर वध्यो, राणीने जरपूर ॥ ३ ॥ विरह व्यथाथी उपनी, पीमा राणी देह ॥ किमे करी शमे नहीं, सूतां कदली गेह ॥४॥ बेटी राणी मालती, नाखंती निःश्वास ॥ करमाली जिम मालती, वेदन विवाय नदास ॥ ४ ॥ कामातुर थर कामिनी, चिंते चित्त मोझार ॥ कुमर इहां आवे किमे, तो सफल करूं अवतार ॥ ५ ॥ राणी आदेश करी, ब्यावी घाइ बोलाय ॥ गौरवसुं नृप सुतनणी, वचन कहे चितलाय ॥ ७ ॥
॥ ढालरजी ॥ माखीना गीतनी देशी ॥
राणी बोलावे हवे, रूमा पधारो राज || कुमरजी ॥ चितरां चिंतवियां हवे, फलशे सघलां काज कुमरजी ॥ मैं तो थासां, अरज करावां ॥ अराबां पाये पमाबां, मानो माहरा बोल ॥ कुम० ॥ ए क ॥ १ ॥ थारा दरिसारि घणेरी, मांनें ढुंती नूल || कु० ॥ दीगे दर्शन रानलो, नागी सघली ना ॥ २ ॥ कु० ॥ नपगारी जगतला, परदुख जंजण दार | कु० ॥ वचन किसुं कहां लाजरा, मेलो द्यो एक वार ॥ कु० ॥ ३ ॥ ० ॥ देह बलेबे माहरी, काम अनि रे जोर || कु० ॥ संगमजल शीतल करो, थाने करूं निहोर || कु० || ४ || में० || मेदेर करो मो नपरे, हुतो याहरी दास || कु० ॥ थाने खोलो पाथरां, पूरो अबला आश || कु० ॥ चंडे, चंदन चिंतामणि, उत्तम नर, जलधार ॥ कुण् ॥ लोकतणा नृपगारने, सरज्यां सरजणदार ॥ कुण् ॥ ६ ॥ ० ॥ श्रासरिखा साजण जिके, किम पीहडे महाराज || कु० ॥ घणो का थाने | किसो, राखो माहरी लाज || कु० ॥ ७ ॥ राजा तो गरढो दुआ, नावे माहरे दाय ॥ कु० ॥सूरत थाहरी मम वसी, प्रेम अमीरस पाय || || || || श्राव्यो वे ते प्रादुणो, जोब नियुं दिन चार ॥ कु॥ राख्योहि रहेशे नहि, ज्युं परदेशी पार || कु० ॥ ए ॥ ० ॥ थाइरो जोबन फिले रह्यो, मे पण
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स्थानण्
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