________________
जन
*K*XXXXXX
बाली वेश || कु० ॥ ब्यो लाहो जोबनतणो, जोबन गये दरवेश || कु० ॥ १० ॥ ० ॥ मेंदो लाहा नीलां रुडां, वार न सूकातांह || कु० ॥ तन धन जोबन प्रादुलो, जासी देखी ताह || कु० ॥ ११ ॥ मे० ॥ हुं तो सुगंधी मालती, तो नमर सुजाण ॥ कुण् ॥ ब्यो रस अवसर पामिने, थाने सोप्या प्राण || कु० ॥ १२ ॥ मे० ॥ चतुर कदी चूके नहि, अवसर खेले दाव || कु० ॥ अवसर जाणे नहि जिके, सो मूरखरा राव ॥ कुण् ॥ १३ ॥ ० ॥ थें मारा शिरसेहरा, थें मारा हमारा हार || कु० ॥ थें मारा यौवनरा धणी, थें माहरा आधार ॥ कुण् ॥ १४ ॥ मे० ॥ बोलो बोल सुहामला, बोलो रे माने को || कु० ॥ प्रणबोल्यां सरशे नहि, जोडो अविचल जोम ॥ कु०॥ ॥ १५ ॥ ० ॥ कहले काज विलो किस्यो, थाने चतुरसुजाण ॥ थोडाही मे प्रीब जो, बुद्धितणा महिराण || कु० ॥ १६ ॥ मे० ॥ थाने मे मेलां नहि, प्राणें करशां प्रीत | कु० ॥ मेलुने मेले नहि, ए डाह्यारी रीत || कु० ॥ १७ ॥ मे० ॥ कामी कामवशे पडया, जिम तिम वचन चवंत | कु० ॥ कामी लाजे पण नहि, इम जिनदर्ष कहंत || कु० ॥ १८ ॥ सर्वगाथा ॥ ५६ ॥
॥ दोहा ॥
एहवां वचन सुणी करी, राणीतणां कुमार ॥ अमृत वाणी लाजसुं, प्रतिबोधे तिशिवार ॥ १ ॥ परनारीरति मातजी, कुंची दुर्गति हार || मुल अधर्मतरुतलो, तिल करवो परिहार ॥ २ ॥ परनारी संगति थकी, वंश कलंकित श्राय || इहां पण लघुता पामियें, परज्जव नरके जाय ॥ ३ ॥ परनारी माता सडु, तुं प्रत्यक्ष मुज मात ॥ हुवे वज्रगतिनी परें, संगमथी नस्म सात ॥ ४ ॥ गुरुनारी नारी पिता, चातनारि सुतनार ॥ अधम पुरुष कामी तिके, पहुंचे नरकमोकार ॥ ५ ॥ ढुंतो तादरो दीकरो, तुंतो माहरी माय ॥ मुजश्री एहवो मातजी, किम श्राये अन्याय ॥ ६ ॥ विष खाइ
Jain Educationa International
२७
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org