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________________ सांग नार जरया वृष जेम, चाले महियअलमलपता ॥ सां॥ ए॥संतोष निजनारी, जे विरता परनारिशुं॥शीलें कर ग्रहि तेह, यति सम कहियें धारशुं॥सांण॥१॥ सांभलि मुनि उपदेश, राजalसुत सुकृतोन्नति ॥ सांग ॥ परदार परित्याग, व्रत आदरी शुन्नमति ॥ सांग ॥ ११ ॥ वलि मुनि वर कहे तास, सदर्शन अन्वित सदा ॥ सांग ॥ सफल दायक होय, शील व्रत प्रालो मुदा ॥ सांण Nam१२॥ सदर्शन दृढमूल, धर्ममहीरुह अन्निनवं॥सांग तत्वसद्दहणा रे रूप, निसर्गाधिगमोदनवम्॥ सां॥ १३॥ तिम तिम जिननी रे जोर, नक्ति युक्ति नावें करी॥ सां॥ सम्यक दर्शन शुद्ध, तिम तिम थाये बहुपरें ॥ सा ॥ १५ ॥ चित्त जिनेश्वर मांहि, नमस्कार जिनवरन्नणी ॥ सांण हृदय जिनेश्वर ध्यान, धर्मबीज कडं जगधणी ॥ सांग ॥ १५॥ आदरियुं गुरुपास, नृप सुसम्यक्त्व ॥ सांग ॥ चिंतारत्न अनर्घ्य, ते सरिखो गुण आगलो ॥ सांग ॥१६॥ प्रणमी मुनिना पाय, आव्यो नत्सुक अश् घरे ॥ सांग ॥ परदारा परिहार, व्रत सुदर्शन परें ॥ सांग ॥१७॥ त्रिविध त्रिविध निशदीश, पाले कुंवर धर्मातमा ॥ सांग || टाले व्रत अतिचार, व्रत धारीमें उपमा ॥ सां ॥ १७॥ नान्दी बहेन समान, मोटी माता सारिखी। सां॥श्म लेखवे सुजाण, इम ब्रह्मव्रत salपाले अखी ॥सां ॥ १५॥ परनारी विषवेल, परनारी जाणे राक्षसी ॥सां ॥ सामो किणहि रे Vवार, जोवे नहि मन नल्लसी, ॥ सांण र ॥ नारीकेरा रे वृंद, जोवे कुंवरने प्रेमसुं ॥ सांग कहे जिन हर्षकुमार, सन्मुख जोवे नहि किसुं॥ सांग ॥ २१॥ सर्वगाथा ॥३१॥ ॥दोहा॥ .. अपरा माता मालती, अद्भुत रूपनिधान । एकदिवस दीगे कुंवर, कुंवर अनुमान ॥१॥ राग वस्यो राणीतणा, हृदय सरोवरमांहि, ॥ जिम जिम देखे सामुं हो, वाधे विरह अथाह ॥ २॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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