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________________ वीश ॥७॥ चकोर्र सुख फल पामीयुं, समकित पाम्यो रे विवेक ॥ च० ॥ एए ॥ ज० ॥ नमन करी जिनवर प्रतिमानणी, आणी शक्ति अपार ॥ च० ॥ श्राव्यो राजा मंदिर आपले, घरी प्रभु हृदय मोकार ॥० ॥ १॥ ० ॥ बीजे दिन प तिहां कणे सांजल्यो, करतां आक्रंद रे लोक ॥ च० ॥ रायें प्रकस्मात् श्रवणे सांजब्युं, दुखीया करतारे शोक ॥ च० ॥ ११ ॥ भ० ॥ राय कहे तदा मंत्रिने पीटें कुठें रे एम ॥ च० ॥ काले इहां नत्सव दीठो हतो, आज आक्रंद करे केम ॥ च० ॥ १२॥०॥ सचिव कहे सुत काले थयो हुतो, मरण पाम्यो तिल आज || च ॥ ते माटे ए शेट अपुत्रियो, | विश्यां एनां रे काज ॥ च०||१३|| || करे आक्रंद मिली सहु एनणी, वचन सुणीने रे तास ॥ च० ॥ राजा हृदय संवेगे पुरीयो, मनमें थयो रे नदास ॥ च० ॥ १४ ॥ जोग संयोग अनित्य संसारना, सुख ते दुखनां गम ॥ च० ॥ काचा सुखसुं राच्या प्राणीया, राजा ध्यावे रे आम ॥ च० | ॥ १५ ॥ ज० ॥ श्री धनेश्वरसूरी पधारिया, तिले अवसरें तिरों गाम ॥ च० ॥ नव्यजनांबुज बोधवा, दुख संतप्तरे विश्राम ॥ च० ॥ १६ ॥ ज० ॥ मुनिपतिने आव्या वंदननणी, बहु | परीवारे रे राय ॥ च० ॥ ते आागलें आपे धर्मदेशना, जेथी नवदुख जाय ॥ च० ॥ १७ ॥ ज० ॥ जोग तिहां जय रोगतलो घणो, सुख तिदां कायानी जीत ॥ च० ॥ वित्त विषय जय पावक नृपतलो, मानें ग्लाने रे जयरीत ॥ च० ॥ १८ ॥ ज० ॥ जयनादें रिपुनो जय जाणी, वंशे प्रकुलीन नारीरे ॥ ॥ च० ॥ दासजी जय निज स्वामितलो, शाहने जय निशाचारी रे ॥ च ॥ १७ ॥ ज० ॥ कायाने जय जमराणाथकी, सहुने जय बे रे जोय ॥ च० ॥ जय वैराग्यनली कोइनो नही, जेदश्री शिवसुख होय ॥ च० ॥ २० ॥ ज० ॥ जिम नारी स्वप्नांतर सुत जणि, दरखे Excess Jain Educationa International For Personal and Private Use Only EDDED स्थानण् ॥ ए७॥ www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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