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वोशणालो ॥ आव्यो केमे नार, गुप्तपणे तिणीवार, आजहो आंबोरे नडाड्यो के तिणें वनिता तिसें रे लो स्थान
Salm १६ ॥ निजना। अच, निजपुरे आव्यो शेठ॥आजहो पाब्ली रे निशि आवी सूतो सेजमी रे ॥
लो ॥ निशलही सुखमांदे, श्रयो जिनहर्ष नत्साह ॥ आजहो मनमांहे जाणे श्रइ सफली घमीरे लो॥ १७ ॥ सर्वगाथा ॥ १३ ॥
॥दोहा ॥ __ जेटले प्रात समय अयो, नारी दीठो नाथ ॥ रात्रे परण्यो ने किहां, कंकण बांध्युं हाय ॥ १॥ Halमांहोमांहे श्म कहे, नगर रतनपुरमांह ॥ श्रीमतीसुं एहनो, सही थयो विवाह ॥२॥ दोरो मंत्री allसुत्रनो, वृक्षने आदेश ॥ बांध्यो तिणें दक्षिणपगें, पोपटनो थयो वेश ॥ ३ ॥ पंजरमांही घालियो, sal तर्जे तास अपार ॥ उल करि बल करि तरे, पंडितने पण नार ॥ ४ ॥बे नारीको नाहलो, तेहने| किहांथी केम ॥ घरटी बेपमविच पम्यो, कण आखो रहे केम ॥ ५॥
॥ ढाल ६ ही॥ विमल जिन मादरे तुमशुं प्रेम ॥ ए देशी ॥ श्रीपुज प्रातसमये अयोजी, पुत्री वस्त्र आलोक, लिखियो कुंकुम अक्षरेजी ॥वांच्यो सुंदर श्लोक सुगुणनर जोजो नारीचरित्र ॥ कापे प्रीति पुरातनीजी, नारीरूप लवित्र ॥ सुगुण ॥१॥ वासी Sal
हसंती पुरतणोजी, मुज जमाइ तेह।इहां आवी मुज कन्यकाजी, परणीने गयो तेह॥सुणाशासागर Jalदत्त व्यवहारियोजी,करवा तिहां व्यापार ॥ दरिया वहाण पूरियांजी, शुनमुहूरत शुन्नवार ॥ सु०il ॥५॥ INE॥ ३ ॥ लेखहार तेहने दियोजी, श्रीपुज शेठ सुजाण ॥ कुशले केमें तिणपुरेजी, पहोतो पुण्य-12
प्रमाण ॥सणा॥ आप्यो कागल हारसंजी. भांख्यं श्रीपुजयुक्त ॥शेठ वचन नारं। सुणाजा, कपट बोली व्यक्त॥५॥ताम्रलिप्त नगरी गयाजी, प्रीतम प्राण आधार ॥महाराजाने कारणेजी, करवा काम
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