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________________ Realथयो मृत्युजोग ॥ आजहो सहुको रे शोकातुर साजन जण अयारे लो ॥ पुत्रमरण वसुदेव, बह val दुख पाम्यो देव ॥ आजहो नारीरे दुख पामी निज निज घरे गया रे लो ॥ ॥ कर्म तणी गति valजोश, कर्म करे ते हो ॥आज हो बलीयो रे जगमांहि के कर्म थी को नहीं रे लोकर्म करे रायरंक कर्मे लख्या जेह अंक ॥ आजहो कोरे नर टाली के न शके ते सही रे लो॥ ए ॥ सुर वाणी तिणीवार, एहवी अश् नदार ॥ आजहो कन्यारे परणावो के धनदेवने रे लो ॥ ए वर योग्य सुजाSalm, मिलीयो पुण्यप्रमाण ॥ आजहो एहने रे संजोगें के ए कन्या बने रे लो ॥ १० ॥ परणावी तिणीवार, श्रीमती कन्या सार ॥ आजहो जुओरे नरनारी के कर्मनी वातमी रे लो॥ किहां हसंती तेह, किहां रत्नपुर एह ॥ आज हो कर्मे रे ए कन्याके आवीने जमी रे लो॥ ११॥ हवे बने ते Salनारि, पुरी जो तिणीवार, आज हो देखे रे ते नत्सव तिहां नन्नी रही रे लो॥ दीठो धनदेव जाम, Naमांहो मांहि ताम ॥ आजहो बहिनी आपणो पति दीसे सहीरे लो ॥ १२ ॥ रत्नपिमध्य नाग, नरियो जलधि अथाग ॥ आज हो को रे आवी न शके आव्यो किमे रे लो ॥ अथवा सरिखो Salजोय, पण नों ने लोय ॥ आजहो आपणे रे मनमांहि नरम धर्यो श्मे रे लो ॥ १३ ॥ देखी नत्सव तेह, नेत्रे वाध्यो नेह ॥ आज हो मनमुरे हवे कीg के निजघरे जायवा रे लो ॥ पुरबाहिर ग तेह, कन्या वस्त्र लिखेह ॥ आजहो कुंकुमसूं एक श्लोक जणाववारे लो॥१॥तथाहि ॥ कुत्र Sal वसती रत्न पुरं, कः क्वासौ गगनमंझनश्चूतः॥ धनपति सुत धन देवे, विधेर्वशात्सुखकृतेश्चूतः॥१॥ Raअर्थः-रहेवान स्थल रत्नपुर कंही, अने आकाशने नूषणरूप अ आंबो शो ? " पण ते सर्व” धनपतिना पुत्र धनदेवनेविषे दैवयोगथी अर्थात् विधिवशयकी सुखने माटे ते आंबो श्रयेलो ॥ करी ऐहवं अनिशान, धनदेव बुद्धिनिधान ॥ आज हो तिहांथी निसरियो रे कार्यचिंतामिशे रे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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