SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 169
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ गट था वचने नेद्यो नहीं, कटुक वचन कहे ताम ॥ तीखां करवत सारिखां, अप्रिय निष्ठुर काम ॥५॥ नित्रं मुनिवर नणी, अन्ता नांखे दोष ॥ पण समता रसमे ग्यों, नाण्यो मनमा रोष ॥६॥ ॥ ढाल मी ॥ मंगल कमलानी ए देशी ॥ राग व न आणीयो ए, कुडीयु फल तेहy जागीयो ए ॥ निर्मोही ममता नहीं ए, समता मनमें संग्रही ए॥१॥ काम वचन देवीतणां ए, कामीने चित्त सुदामणांए ॥ एपण मुनिने अलखामणां ए, लाग्यां जेम कौची विहामणां ए॥ ॥ व्रत अतिचार लगाडीयो ए, नहीं पमहो सुजस वगामीयोए॥ त्रिकरण शुद्ध विशेषसुं ए, आवश्यक दियमामें वस्युं ए ॥३॥ श्रीदेवी पर पए, गुण देख। रलियायत दुइ ए॥ वांदे मुनिना पाय ए, कहे धन धन तं ऋषिराय ए॥untal जखमजे मुज अपराध ए, तुं गुणसायर ने साध ए॥ कर जोमी करे विनती ए, जगतारक हुँ । महोटो यति ए॥ ५॥ तुं सहुमें शिरदार ए, तें जीत्या मोह विकार ए॥तें वांग्या नहीं लोग ए, ते राख्यो निश्चल योग ए॥६॥धन धन तुं महानाग ए, ताहरे नहीं रोष न राग ए॥ ताहारे चरणे सुर नमे ए, तुज दरशन दी मन गमे ए॥ ७ ॥शब्दादिक गुण ग्राम ए, में कीधा अति अनिराम ए॥ न चल्यो चित्त लगार ए, ते देखीने अणगार ए॥७॥ रागष नवि आवियो ए,N मनमें समतारस नावियो ए॥ पूनमचंतणी परें ए, निर्मलगुण तुं मुनिवर ध दीसे वे जणाए, झ्यावश्यक कर्ता घणा ए॥पण नावावश्यकविषे ए, तुजसरीखा कोश्क दीसेए॥१॥ स्तवना करी बहु मान ए, चली देवी बहु सनमान ए ॥ नमी करी गुणग्राम ए, लक्ष्मी पहोती। निज गम ए॥११॥ चारित्र धर्म पाली करीए, अंतकाले अगसण नचरी ए ॥ सुर श्रयो स्वर्ग Sd वारमें ए, स्वर्गेश परें सुखमें रमे ए॥१॥ तिहांथी चविय विदेहमेंए, पामी जिनपदवी ते समे ए॥ Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy