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तुझमाया सुपसायथी ए, अवगुण पण गुण पाय ॥ ति ॥ १३ ॥ प्रसन्न थानो परमेश्वरी ए, स्थान
सुरनर सेवित पाय । सहु आश ताहरी करे ए, जाए तुजथी सहु गेति ॥ ति ॥१॥ एहवी स्तुति Ralशुणि देवता ए, पद्मा प्रत्यक थई ताम ॥ वर माग वत्स एम कहे ए, तुजने रुचे अन्निराम ॥ तिosal Nan१५ ॥ हाथ जोमी कहे मातजीए, जो श्रयां तमे प्रसन्न ॥ मूको विद्याधर नगी ए, विश्ववत्सल
धन धन ॥ ति॥ १६॥ तत्कण खेचर मूकियो ए, प्रसन्न थ रमा ताम ॥ परनपकारने कारणे ए. देवसेवा करी आम ॥ ति ॥ १७ ॥ नवजन्मनी परे आपने ए, मान तुं खेचर राय usa कहे नरपति पुत्रने ए, डुं नमुं ताहरे पाय ॥ ति ॥ १७ ॥ तुं रत्नगर्ना ते करी ए.NA नूमि यश् गुणगेह ।। स्वार्थथकी पण घणुं ए, पारको अर्थ मन एह ॥ ति० ॥ १५ ॥ प्रत्युपकार अर्थे तिहां ए, कृतज्ञ खेचर पति ताम ॥ प्रज्ञप्ति आदिक दशे ए, दीध विद्या हित काम ॥ ति॥श्णा प्राप्त विद्या श्रीदेवी, प्रते ए, सादरे करि प्रणाम ॥ जिनहर्ष निजमित्रसुंए, चाल्या व्योमपंथ ताम ॥ ति ॥ २१॥ सर्वगाथा ॥ १० ॥
॥दोहा॥ आगल जातां निरखियुं, एकवन तरुवर श्रेण ॥ फल फूले करि शोभतुं, नंदन वन नपमेण ॥ REकंचन चैत्य सोहामगुं, तेवनमांहि विशाल ॥ शांतिनाथ जिनरायनूं, दी कुमर नूपाल ॥ २॥
स्नान करी निर्मलजलें, आव्या चैत्यमोकार ॥ हृदयकमल भावें नरयुं, नलट अंग अपार ॥३॥ प्रतिमा शांति जीणंदनी, सुविधं पूजा कीध ।। फुल सुगंध ले। करी, मानवनव फलसि६ ॥ ४ ॥ चैत्यवंदन विधिसुं कयु, वारणनव दुखताप ॥ नीसरणी शिव मेहेलनी, जल धोएवा पाप ॥५॥
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