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________________ XXXXXXXXXXXXXXXX रति रंजा जिसि, नयन कमलदल जास ॥ कामी नर मृगकारणें, रच्यो विधाता पास ॥५॥ अहंका रीने श्राकरा, मानीने मबराल || ते पण महिला वश थया, महिला मोटी जाल ॥ ६ ॥ ॥ ढाल ४ थी ॥ ऋषिनो वैयावच करे ॥ एदेशी ॥ aise विद्याधर ननचररुप, खेलतो तिली वनमांदे ॥ तिले अवसर आवियो ए, किाही वन गहनमां मेलियो एह ॥ कुमरमित्र संघाते संवादि० १ ति० ॥ युद्ध करी कुमर खग जीपीयो ए ॥ नोयें पड्यो करी प्राकंद | अति तीव्र पीमाथकी ए, होइ गयो बलमंद ॥ ति० ॥ २ ॥ जाइ असन वेग तेहनो ए, क्रोध करी वडवीर || पापी जीम दुर्गते ए, घातिय कूप गंजीर ॥ ति० ॥ ३ ॥ पुण्य प्रभावथी जइ पड्यो ए, अब्जलमांहे कुमार || कुप्रथकी निकल्यो ए, स्वस्थ यर के प्रकार ॥ ति० ॥ ४ ॥ कर्म अनुकूलश्री तिहां मिल्या ए, मित्रसुं परम सनेह ॥ देशांतर देखवा ए, चाब्या वे जण तेह || ति० ॥ ५ ॥ आगल प्रावतां निरखियो ए, लक्ष्मी देवी गृहपास ॥ नर एकतरु बांधियो ए, नईपद अधोमुख तास ॥ ६ ॥ तास समीपे करुणा स्वरें ए, रुदन करती सती एक ॥ बहु नूषरों शोजती ए, सुंदरगुण सुविवेक ॥ ति० ॥ ७ ॥ कुमर करुणानिधि प्रूबियो ए, तेहनारी जली ताम कुण ए नर किम लही ए, एह अवस्था अकाम ॥ ति० ॥ ॥ ते कहे स्वामी नचर तणो ए, माहरो वल्लन एह ॥ लक्ष्मीरमण कानने ए, सुमन सावचय करेह ॥ ति० ॥ || लक्ष्मी देवी इहां बांधियो ए, क्रोध करी मतिमंत || मूकावो ते हवे ए, विश्व नृपकारी तुं संत ॥ ति० ॥ १० ॥ तेहनां वचन श्रवणें सुणी ए, कुमर मुकावा तास ॥ लक्ष्मीसूरि पूजीने ए, आागले करे अरदास ॥ ति० ॥ ११ ॥ जयजय तुं कमला सती ए, जय जय जगत आधार ॥ सेवकने सुखदायिनी ए, जय जय सुगुणजंकार ॥ ति० ॥ १२ ॥ जय जय तुं जगदीश्वरी ए, ताहरी जगतमां ज्योति ॥ Jain Edu ternational For Personal and Private Use Only XDDDDDDDDDDD XXXXX www.brary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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