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वोश
स्थान
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आगार संनारीयें ए॥१२॥आप्यानरणे पंच, थाये आगार चार चार बीजां तणां ए॥कीधेए । पचखाण, ढंकाए सही, सघलां आस्रव बारणां ए॥१३॥ आस्रव दे होये, व्यणं, तएहा ने हगथी होवे ए ॥ नपशम अतुल अपार, नपशमथी दुवे, शुक्ष पचखाण सुगुरु वचे ए ॥ १५ ॥ इति NA प्रत्याख्यातयः त्रीधोपयोगथी जे, आवश्यक सुधी, करीक्रिया शुक्ष्मन थइ ए ॥ अरुण देवपरें तेह, IST तीर्थकरपद, पामे सुख अविचल मयीए॥१५॥ तथाहि ॥णहीज नरत मोकार, नगर अनोपम,
मणिमंदिर नगर शोन्नादरीए ॥ न करे तम परवेश नित्य अहोनिश, अरिहंत मणि मंदिर करीब Elए ॥ १६ ॥ तीणपुरी वेरी काल, पालक लोकनो, मणि शेखर तिहां वितिपति ए ॥ नाम यथाSeal रथ जास, वांगित पूरवे, त्यागी त्यागशिरोमणिए ॥ १७ ॥ मणिमाला तसु नारि, मणिमाला SEL
जीसी, निर्मल शोना अति घणी ए ॥ शोनावे निशदीश पति वक्षस्थल, सद्गुणशील शोहामणी sal ए ॥ १७ ॥ तास पुत्र गुणपात्र, सदविद्यातलो, कला सहु अंगे वसे ए॥ अरुणदेव अन्निधान, तेज पराक्रम, देखी जन मन नल्लसे ए ॥ १७ ॥ सुमति सुमति तसु मित्र, मंत्रीश्वर सुत, सकल कार्य सखाश्यो ए ॥ सुख दुख सम सम प्रीति, कहे जिनहर्षसुं, दिन दिन प्रेम सुहाश्यो ए ॥ २० ॥ सर्व गाथा ॥ ३३॥
॥दोहा॥ मित्रसंघाते अन्यदा, यौवनवय सुकुमार ॥ गयो वसंतरमवानगी, कीमोद्यान मोकार ॥ १ ॥sa तिण वनमांहि वनस्पती, फूली फली अपार ॥ दी कन्या हींचती, सुरकन्या अवतार ॥ २ ॥उवा
॥ लावण्याद्भूत जेहनु, दीठी नयण नरेद ॥ तत्कण हृदय कुमारनु, विंध्यु काम शरेह ॥ ३ ॥ चित्रतणी परे चित्तहरी, मृगनयगी वरनार ॥ तो साक्षात् निहालतां, न वधे केम विकार॥ ४ ॥रू
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