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________________ वोश स्थान ॥७ ॥ आगार संनारीयें ए॥१२॥आप्यानरणे पंच, थाये आगार चार चार बीजां तणां ए॥कीधेए । पचखाण, ढंकाए सही, सघलां आस्रव बारणां ए॥१३॥ आस्रव दे होये, व्यणं, तएहा ने हगथी होवे ए ॥ नपशम अतुल अपार, नपशमथी दुवे, शुक्ष पचखाण सुगुरु वचे ए ॥ १५ ॥ इति NA प्रत्याख्यातयः त्रीधोपयोगथी जे, आवश्यक सुधी, करीक्रिया शुक्ष्मन थइ ए ॥ अरुण देवपरें तेह, IST तीर्थकरपद, पामे सुख अविचल मयीए॥१५॥ तथाहि ॥णहीज नरत मोकार, नगर अनोपम, मणिमंदिर नगर शोन्नादरीए ॥ न करे तम परवेश नित्य अहोनिश, अरिहंत मणि मंदिर करीब Elए ॥ १६ ॥ तीणपुरी वेरी काल, पालक लोकनो, मणि शेखर तिहां वितिपति ए ॥ नाम यथाSeal रथ जास, वांगित पूरवे, त्यागी त्यागशिरोमणिए ॥ १७ ॥ मणिमाला तसु नारि, मणिमाला SEL जीसी, निर्मल शोना अति घणी ए ॥ शोनावे निशदीश पति वक्षस्थल, सद्गुणशील शोहामणी sal ए ॥ १७ ॥ तास पुत्र गुणपात्र, सदविद्यातलो, कला सहु अंगे वसे ए॥ अरुणदेव अन्निधान, तेज पराक्रम, देखी जन मन नल्लसे ए ॥ १७ ॥ सुमति सुमति तसु मित्र, मंत्रीश्वर सुत, सकल कार्य सखाश्यो ए ॥ सुख दुख सम सम प्रीति, कहे जिनहर्षसुं, दिन दिन प्रेम सुहाश्यो ए ॥ २० ॥ सर्व गाथा ॥ ३३॥ ॥दोहा॥ मित्रसंघाते अन्यदा, यौवनवय सुकुमार ॥ गयो वसंतरमवानगी, कीमोद्यान मोकार ॥ १ ॥sa तिण वनमांहि वनस्पती, फूली फली अपार ॥ दी कन्या हींचती, सुरकन्या अवतार ॥ २ ॥उवा ॥ लावण्याद्भूत जेहनु, दीठी नयण नरेद ॥ तत्कण हृदय कुमारनु, विंध्यु काम शरेह ॥ ३ ॥ चित्रतणी परे चित्तहरी, मृगनयगी वरनार ॥ तो साक्षात् निहालतां, न वधे केम विकार॥ ४ ॥रू Jain Education Internabonal For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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