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________________ वीश सुणे देश नपयोग । सु०॥ ७ ॥ वंचे अंजलि बेसणो, ये अनिग्रह कियकर्म ॥ सु० ॥ शुश्रूषां स्थान सनमुख व्रजे, काँया अठ सुरम ॥ सु ॥७॥ हित मित अपुरंस अगुवाइ, वचन विनय प्रतिपन्न ॥६ ॥ ॥ सु ॥ रुंधे अकुशल मनन्नणी, कुशल नदीरी मन ॥ सु ॥ ए॥ प्रतिरुप विनयशुं दाखीए, पर अनुवृत्ति सुजाण ॥ सु॥ अप्रति रुप विनय दुवे, केवलीने गुण खाण ॥ सु ॥ १० ॥ तुजने एक विनय कों, प्रतिरुप तीनप्रकार ॥ सु ॥ आणा सायण सुविनय तणा, बावनन्नेद विचार ॥ Nam ११ ॥तीर्थकर सिंह कुलें घाँ, संघ क्रियाँ धर्म नाण, ॥ सु० ॥ नाणी आयरीया प्रेरी, नव-Nal veीय गैणी प्रमाण ॥ सु॥१५॥ एतेरस पदनी करी, आण सायण बहु नेति ॥ सु० ॥ बहुत माग गुणवर्णना, करे सदा एक चित्त ॥ सु० ॥१३॥ तेरस तिथयरादिकें, चनगुण होय बावन Sel सुण ॥ विणय आणा सायण तणा, नेद कर्या प्रवचन ॥ सु० ॥१४॥ अरिहंत गुर्वादिकतणा, विनय sal sal यथोक्त करंत ॥ सु ॥ तीर्थंकरपद धनपरें, ते जिनहर्ष लहंत ॥ सुण ॥१५॥ ॥दोहा॥ | नगरी इणहिज नरतमें, मृतिकावती सुनाम ॥ प्रत्यक्ष जाणे सुरपुरी, ऋहि वृद्धि अन्निराम Su१॥ गढ मढ मंदिर मालीयां, नंचा गोख सुरंग ॥ वसे लोक सुखीया सदु, करे केलि नवरंग॥॥Na ॥ ढाल २ जी ॥ महाविदेह केत्र सोहामणुं ॥ ए देशी राज्य करे राज तिहां, श्रीजितारि इनाम लालरे ॥ जेणे जीत्या अरिराजजी, जस वाध्यो गम गम लालरे ॥ १॥राज ॥ वसे सुदत्त श्रावक तिहां, आतम जास पवित्र लालरे ॥ दान NaI ॥६ ॥ REIसुपात्रे जे दीये, उत्तम जास चरित्र लालरे ॥ राण ॥ ॥ श्रावक मांहे अग्रेसरी, पाले समकित शुभ लाल रे ॥ परम विवेकी सुव्रती, धर्मी निर्मल बुद्ध लाल रे ॥ राण ॥ ३ ॥ जाणे साचा सहहे, Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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