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________________ DDDDDDDDDDD लह्यो, वरें पामी हो मन मानी नार ॥ स० ॥ प्रत्यक्ष पुण्यनां फल एहवां, जूवो जूवो दो जिन| हर्ष विचार || स० ॥ २० ॥ ॥ दोहा ॥ अथ लेखि जिनेंइनी, प्रतिमा चित्रपट सार ॥ मुनिवर रूप लखी करी, देखामे वार वार ॥ १ ॥ नृपमंदिर रहेतो थको, देश धर्म उपदेश ॥ अनंगसुंदरी धर्मनी, कीधी जाए विशेष ॥ २ ॥ वीरन मन चिंतवे, मुजने वे बहु मान ॥ तोपा रहेतां सासरें, महिमा घटे निदान ॥ ३ ॥ यतः ॥ उत्तमाः स्वगुणैः ख्याता, मध्यमाश्च पितुर्गुणैः ॥ प्रथमा मातुलैः ख्याताः, स्वसुरैस्त्वधमाधमाः ॥१ ॥ अर्थः- पोताना गुणोवमे जे विख्यात बे ते उत्तम जाणवा, पिताना गुणथी प्रसिद्ध ते मध्यम, मामा वडे विख्यात ते अधम ने ससराथी ख्यात बे ते अधमनी अंदर पण अधम जागवा ॥ अथवा स्वगुणश्री मलेली ख्याति पिताना गुणश्री श्रयेली प्रसिद्धता मध्यम बे मामाश्री मलेली विख्याति अने ससराथी थयेली विख्याति श्रधमथी अधम बे ॥ १ ॥ दोहा ॥ मनमां धारी एहवुं, लेइ नृप आदेश ॥ शंखशेग्नें पूर्वीनें, नमाह्यो निजदेश ॥ ४ ॥ वस्तु अमूलकशुं जर्यु, प्रवहण कर तैयार ॥ वीरनइ निजनारीशुं, धरतो हर्ष अपार ॥ ५ ॥ ढाल नवमी ॥ घरें प्रावोजी आंबो मोरियो । ए देशी ॥ प्रवण पूरयुं शूनमुहूरतें, सहुशुं करी शीख जुहार ॥ वीरन चाल्यो निजपुर नली, सायें बहुजननो परिवार || प्रव ॥ १ ॥ जरदरी ये पोहोंता जेटले, दुर्दैवत वशे ताम ॥ बूटा दह दिशिश्री वायरा, वाहाण न रहे एक गम ॥ प्रव० ॥ २ ॥ गाजे गयलांगा मेहलो, चढीया असमान कलोल ॥ पाणी चड्यां दरीयातणां, जाणे श्राशे जग बोल ॥ प्र० ॥ ३ ॥ कूप्रार्थनो कटका थयो, सढ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.600177
Book TitleVissthanakno Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size7 MB
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