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- हत्तरी तारकोमिकोमीणं ॥ समंतरेणमुस्से,हंगुलमाणेण वा हुँति ॥॥ गह रिक तारगाणं, संखं ससिसंखसंगुणं कालं ॥ इबियदीवुददिमिय, गदाश्माणं | वियाणिजा ॥२७॥चन चन बारस बारस, लवणे तदधाश्यंमि ससि सूरा ॥
परददिदीवेसु य, तिगुणा पुविल्लसंजुत्ता ॥२७॥ नरखित्तं जा समसे, णिचा नारिणो सिग्घसिग्यतरगणो॥ दिहिपदमिति खित्ता,णुमाण ते नराण जहा। ॥२३॥पणसय सत्तत्तीसा, चनतीससहस्स लक गवीसा ॥ पुरकरदीवरुन all रा, पुवेण वरेण पिति ॥२४॥ नरखित्तवहिं ससिरवि, संखाकरणंतरेदि वा । होई॥ तह तब य जोसिया, अचलपमाणसु विमाणा ॥२७॥ जंबूपरिदि। तिलका, सोलसहस उसय पनणअडवीसा॥ धणुअमवीस सयंगुल, तेरसस नाट्टासमदिया य॥१७६॥ सगसय ननया कोडी,लका उप्परम चनणवश सहसा allu सट्ठसयं पनणउको, स सढबासहि करगणियं ॥२७॥ पट्टपरिहिं च गणियं,
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