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॥४१॥
लघुदे०
हपसवा बहुसुया य॥१०॥श्य अरबक्केण वस,प्पिणित्ति नस्सप्पिणी वि विव प्रकरण. रीया ॥वीसं सागरकोमा, कोमी कालचकंमि॥१०॥ कुरुगि दरिरम्मयउ। गि, देमवएरमवयजगि विदेदे ॥ कमसो सया वसप्पिणि, अरयचनकाइसम कालो ॥१०॥ देमवएरमवए, हरिवासे रम्मए य रयणमया ॥ सदाव विद डावश्, गंधाव मालवंतरका ॥११॥ चन वट्टवियट्ठा सा, अरुण पनम प्पना । स सुरवासा ॥ मूलुवरि पिटुत्ते तह,उच्चत्ते जोयणं सहसं ॥११॥ मेरू वट्टो स हस्स, कंदो लस्कसि सहस नवरि ॥ दसगुण नुवि तं सनवइ, दसिगारंसं पिहलमूले ॥१२॥ पुढवुवल वयर सकर, मयकंदो नवरि जाव सोमणसं ॥ फलिहंक रयय कंचण, म य जंबूण सेसो ॥११३॥ तज्ज्वरि चालीसुच्चा, व
हा मूलुवरि बार चन पिहुला ॥ वेलुरिया वरचूला, सिरिनवणपमाण चेहरा || ॥४१॥ IC॥१४॥ चूलातलान चनसय, चनणनए वलयरूवविस्कंन्नं ॥ बहुजलकुंमं पं
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