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| निय पयर, नाईयापचडंतरयं ॥ २३ ॥ | तेसीया पंचसया, इक्कारस चेव जो या सहस्सा ॥ रयणाय पचडंतर, मेगोचिय जोया तिनागो ॥ २४० ॥ सत्ताण वइ सयाई, बीयाए पचड़ंतरं होई || पणदत्तरि तिन्निसया, बारसहस्सा य तइ याए ॥ २४२॥ बावसयं सोलस, सहस्स पंका य दोति जागा य ॥ अट्ठाइस याई, पणवीस सहस्स धूमाए ॥ २४२॥ बावन्नसढ सहसा, तमप्पना पचमंतरं दोइ ॥ एगो चिप्रपच, अंतरर हि तमतमाए ॥ २४३ ॥ पठण्ड धणु व अं गुल, रयणाए देहमाणमुक्कासं ॥ सेसासु डुगुणा डुगुणं, पणधणु सय जावचरि माए ॥ २४४ ॥ रयणाय पढम पयरे, दचतियं देहमाणमणुपयरं ॥ बप्पसंगुल सड्ढा, बुढीजातेरसे पुष्पं ॥ २४२॥ जं देहपमाण वरि, माए पुढवीइ अंतिमे प यरे ॥ तं चिय दिद्धि म पुढवी, पढमं पयरम्मि बोधवं ॥ २४६ ॥ तं चेगूणग सगपय र, जश्यं बीयाइ पयर बुढिनवे ॥ तिकर ति अंगुल करसत, अंगुला सढि गु
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