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बृहत्सं० अमयाला ॥२३१॥ बीयाइसु पयरेसु, ग ग हीणान हुंति पंतीजाजा सत्त प्रकरण.
मि महि पयरे, दिसि इक्किको विदिसि नहि ॥२३॥छप्पयरे ग दिसि, संख||
अम्गुणा चन विण ग संखा ॥ जह सीमंतय पयरे, एगुणनगया सया तिन्नी । IN॥२३३ ॥अपयहाणे पंचन, पढमो मुहमंतिमो दवइनूमी॥ मुह नमि समास
इं, पयरगुणं हो सवधणं॥२३४ामवर सय तिवमा, सत्तसु पुढवीसु आवY जाली निरया ॥ सेस तियासी लरका, तिसय सियाला नवश सहसा ॥ ३५॥
तिसहस्सुच्चा सत्वे, संखमसंखिऊ विमा यामा॥पणयाल लरक सीम, तय ल INo अपश्गणो॥३६॥दिछा घणो सदस्सा, उप्पिसे कुछडे सहस्सं तु॥ मले जा सहस्स सुसिरा, तिमि सदस्सुस्सिया निरया ॥२३॥ उसु दिछोवरि जोयण,
सहस्स बावन्न सट्टचरिमाए ॥ पुढवीए निरय रहिय, निरया सेसम्मि सवासु H॥३॥ बिसहस्सूणा पुढवी, तिसहस गुणिएहिं नियय पयरेहिं ॥ कणा रुवु
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