SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ NAG॥ समनूतलान अहिं, दसूण जोयण सरहिं आरन ॥ जवरि दसुत्तर - जोयण, सयम्मि चिति जोसिया ॥४॥ तच रवी दस जोयण, असी त वरि ससी य रिकेसु ॥ अह नरणि साइ जवार, बदिमूलो जिंतरे अनि ॥५॥ तार रवि चंद रिका, बुह सुक्का जीव मंगल सणिया ॥ सगसय ननय दस असिइ, चन चन कमसो तिया चनसु॥५१॥ कारस जोयणसय, ग वीसि कारसादिया कमसो॥ मेरुअलोगाबाहिं, जोसचकं चरइ गइशा अकविठागारा, फलिदमया रम्म जोइस विमाणा ॥वंतरनयरेदिं तो, संखि जगुणा श्मे हुँति ॥५३॥ ताई विमाणाइं पुण, सवाई हुँति फालिहमयाइं॥ दगफालीहमया पुण, लवणे जे जोइस विमाणा ॥५४॥ जोयणिगसहि नागा, बप्पन्नडयाल गान गई ॥ चंदाइविमाणाया, म विबरा अ६ मुच्चत्तं॥५॥ पणयाल लरक जोयण, नरखित्तं तबिमे सया जमिरा ॥ नरखित्तान बदिं Jain Education.in Ionel For Personal and Private Use Only 2 .jainelibrary.org
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy