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बृहत्सं
॥१५॥
जोयणसए, रयणाए अहवंतरा अवरे ॥ तेसु श्ह सोलसिंदा, रुअग अहो । प्रकरण. दाहिणुत्तर ॥४१॥ संनिदिए सामाणे, हाई विदाए इसिय इसिवाले ॥ सर महेसरे विय, दवइ सुवने विसाले य ॥४२॥ दासे दास रईविय, सेएय न वे तदा महासेए॥ पयगे पयगवईविय, सोलसइंदाण नामाइं॥४३॥ सामाणि याण चनरो, सहस्स सोलसय आयरकाणं ॥ पत्तेयं सवेसिं, वंतरवइ ससि । रवीणं च॥४४॥इंद सम तायतीसा, परिसतिया रकलोगपाला य ॥ अणि य पश्मा अनिउँगा, किब्बिसं दस नवण वेमाणी ॥ ४५ ॥ गंधव नह हय ग. य, रद जड अणियाणि सव्व इंदाणं॥ वेमाणियाण वसहा, महिसा य अहोनि । वासीणं ॥ ४६॥ तित्तीस तायतीसा, परिसतिया लोगपाल चत्तारि ॥अणि आणि सत्त सत्तय, अणियादिव सबइंदाणं ॥४७॥ नवरं वंतर जोइस, इंश ॥ १५॥ दाण न हुंति लोगपालार्ड ॥ तायत्तीसनिहाणा, तियसावियतेर्सि नहु हुँति ॥
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