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________________ बहसं पुण, अपमाणा ग्ाि निच्चं ॥५६॥ ससिरविगदनकत्ता, तारा हुंति जहु प्रकरण. त्तरं सिग्घा ॥ विवरीयान महट्टीअ, विमाणवदगा कमेणेसिं ॥५॥ सोलस सोलस अड चन, दो सुरसहसा पुरोय दाहिण ॥ पत्रिम उत्तर सीहा, दबी वसहा हया कमसो ॥ ॥ गहअघासी नकत, अडवीसं तार कोडि || कोडीणं ॥ गसहिसहस नवसय, पणसत्तरि एगससि सिन्नं ॥ ५॥ कोडाना कोडी सन्नं, तरंतु मन्नंति खित्त थोवतया ॥ केई अन्ने उस्से, दंगुलमाणेण ता all राणं ॥६० ॥ किएहं राइविमाणं, निच्चं चंदेण होइ अविरहियं ॥ चनरंगुल मप्पत्तं, दिघा चंदस्स तं चर॥६॥ तारस्स य तारस्स य, जंबुद्दीवम्मि अं| तरं गुरुयं ॥ बारस जोयण सहसा, उन्निसया चेव बायाला ॥६॥ निसढो या नीलवंतो, चत्तारिसयउच्च पंचसय कूडा ॥ अइंजवरिं रिका, चरंति उन्नय ॥ १६॥ 5 बाहाए ॥६३॥ गवघा उन्निसया, जहन्नमेयं तु दोश् वाघाए ॥ निवाघा Jain Educational For Personal and Private Use Only nabrary.org
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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