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________________ बृहत्सं०स्स गुणिया, अडतिस ना विजय मधिल्ला ॥ सीयाए निवम्, ति तदय प्रकरण. सीयाइ एमेव ॥ २४ ॥सीया सीया वि य, बत्तीससहस्सपंचलकेहिं ॥स ॥१ ॥ वे चउदस लका, बप्पन्न सहस्स मेलविया ॥ २५ ॥ बोयणसकोसे, गंगा । सिंधूण विबरो मूले ॥ दसगुणि पङते, श्य ऽऽ गुणणेण सेसाणं ॥२६॥ जोयणसयमुच्चिछा, कणयमया सिदरिचुल्लदिमवंता ॥ रुप्पि महादिमवंता, उसुनच्चा रुप्पकणयमया ॥ २७ ॥ चत्तारि जोयण सए, चिहो निसढ नी लवंतो य॥निसढो तवणिजम, वेरुलियो नीलवंतो य ॥ ॥ सवे वि प|| दावयवरा, समयखित्तम्मि मंदर विहुणा ॥ धरणितले मुवगाढा, उस्सेय चनबन्ना || यम्मि ॥२॥ खंडाई गाहादि, दसहिं दारेहिं जंबुदीवस्स ॥ सघयणी सम्म । पत्ता, रश्या दरिनद्दसूरीहिं ॥ ३० ॥ इति श्रीलघुसंग्रहणीप्रकरणं संपूर्णम् ॥al 6 ॥ ॥ ॥ अथ बृहत्संग्रहणीसूत्राणि ॥ नमिलं अरिहंताई, विनवणो गादणा यप Jain Educationalisa For Personal and Private Use Only Swastinelibrary.org
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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