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________________ लघुसं० ॥ ११ ॥ तिलक सोलस, सदस्स दोयसय सत्तवीस दिया ॥ कोस तिग अठावीसं, ध | सय तेरंगुल दियं ॥ ८ ॥ सत्तेवयको डिसया, नया बप्पन्न सय सदस्सा इं ॥ चणडयं च सहस्सा, सयं दिवङ्कं च साहीयं ॥ ए ॥ गाना मेगं पनरस, धणुसया तह धणि पनरस्स ॥ सीिं च अंगुलाई, जंबुद्दीवस्स गणियपयं | ॥ १० ॥ नरहाइ सत्त वासा, वियट्ठ चन चनरतिंस वट्टियरे ॥ सोलस व कार गिरि, दो चित्त विचित्त दो जमगा ॥ ११ ॥ दोसय कणय गिरीणं, चन गयदंता य तह सुमेरू य ॥ ब वासदरा पिंडे, एगुणसत्तरि सया न्नी ||१२|| सोलस वरकारेसु, चन चन कूडा य हुंति पत्तेयं ॥ सोमणस गंधमायण, सत्त हय रुप्पि महाहिमवे ॥ १३ ॥ चनतीस वियट्ठेसु, विकुप्पह निसढ नीलवं | तेसु ॥ तह मालवंत सुरगिरि, नव नव कूडाई पत्तेयं ॥ १४ ॥ हिमसिह रिसु | इक्कारस, इय इगसठी गिरीसु कूमाणं ॥ एगत्ते सवधणं, सयचनरो सत्तसठीयं Jain Educationonal For Personal and Private Use Only प्रकरण. ॥ ११ ॥ www.jainelibrary.org
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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