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________________ inso ॥ १० ॥ Jain Educationa ढवी आऊ वणस्सई जंति ॥ पुढवाइ दस पर हिय, तेऊ वाऊसु नववार्ड ॥३५॥ ते वाऊ गमणं, पुढवी पमुहम्मि होइ पय नवगे ॥ पुढवाइ वाणदसगा, विग | लाई तिय तहिं जंति ॥ ३६ ॥ गमणा गमणं गमय, तिरिच्याणं सयल जीव गणेसु ॥ सवच जंति मणुच्या, तेऊ वाकहिं नो इति ॥ ३७ ॥ वेय तिय ति रि नरेसु, इबी पुरिसो चनविद सुरेसु । थिर विगल नारएसु, नपुंस वेर्ज ह वइ एगो ॥ ३८ ॥ पऊ मणु बायरग्गी, वेमाणिय नवण निरय विंतरि ॥ जोइस च पण तिरिया, बेइदि तिइंदि नूयाऊ ॥ ३९ ॥ वाऊ वणस्सई चि यदि दिया कमेण मेहुंति ॥ सधेवि इमे जावा, जिणा मए तसो पत्ता ॥ ४० ॥ संपइ तुझ जत्तस्स, दंग पय जमण नग्ग दिययस्स ॥ दंड |तिय विरयसुलहं, बहु मम दिंतु मुकपयं ॥ ४१ ॥ सिरि जिाइंस मुणीस र, र सिरि धवलचंदसी सेणं ॥ गजसारेणं लिदिया, एसा विपत्ति For Personal and Private Use Only प्रकरण. ॥ १० ॥ chainelibrary.org
SR No.600176
Book TitleLaghu Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size19 MB
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