________________ श्रानथाय, ते पुण्य कल्पसूत्र सांजलवाथी थाय // 2 // दानें करी, विविध प्रकारना तपेकरी, वर्ग 5 रूमा तीर्थनी सेवायें करी जे प्राणीउनां पाप दय पामे, ते पाप कल्पसूत्र सांजलतां थकां - // 14 // जाय॥२॥ मुक्ति उपरांत को पद नथी,शत्रुजय उपरांत को तीर्थ नश्री, रूडा समकित के, श्रीकल्पश्रवणेन तत् // 2 // दानैस्तपोनिर्विविधैः, सत्तीर्थोपासनैरदो॥ al यत्पापं दीयते जन्तो, स्तत्पापं श्रवणेन वै॥॥ मुक्तेः परं पदं नास्ति, ती अर्थशजयात्परम् // संदर्शनात्परं तत्त्वं, शास्त्रं कल्पात्परं नहि // 2 // IN मावस्याप्रतिपदो,र्दीपोत्सव दिनस्थयोः॥प्राप्तनिर्वाणसज्झानौ, स्मरेतीवीरगोत, मौ // 30 // उपवासव्यं कृत्वा, गौतमं दीपपर्वणि // स्मेरस बनते नून, मिहा उपरांत कोऽव्रत नथी,तेम कल्पसूत्र उपरांत बीजु कोइ शास्त्र नथी // 39 // ॥दीवालीना, दिवसनी अमावास्यायें श्रीमहावीर स्वामी मोक्ष गया बे,अने पडवाना दिवसें श्रीगोतम || स्वामी केवलझान पाम्या , तेनुं स्मरण करीयें // 3 // जे बे उपवास करीने श्रीगौतम // 14 // Jain Educationa l For Personal and Private Use Only Mainelibrary.org