________________ // 11 // आजलाप्राणी घणा पुण्यनो समूह संपादन करतो राग अने केष ए बेने बीज तिथीयें जीते || तपाय जात वर्ग 5 // 5 // // पांचम पाख्याधी पांच ज्ञान प्रत्ये पामे, पांच चारित्र पामे, पांच महाव्रत al IN पामे, ए पांचम प्रत्ये पालतो अहंकार, विषय, कषाय, निमा श्रने विकथा ए पांच प्रमादने जीते // 6 // // श्रामि पाख्याथी मागं श्राप कर्म प्रत्ये नशाडे, तथा पांच जन् सुकृतसंघातं, रागद्वेषज्यं जयेत् // ५॥पंच ज्ञानानि खन्नते, चारित्राणि व्रतानि च // पंचमी पालयन् पंच,प्रमादाञ्जयति ध्रुवम् // 6 // उष्टाष्टकर्मनाशा Nयाष्टमी नवति रदिता॥ स्यात्प्रवचनमातृणां, शुध्येऽष्टमदान् जयेत् ॥७॥ए। कादशांगानि सुधीराराधयति निश्चितम् // एकादश्यां शुन्नस्तम्वावकप्रतिमा || Nसमिति अने त्रण गुप्ति ए श्राउ प्रवचन माता तेने शुरू करे, तथा जातिमद, कुलम द, रूपमद, बलमद, ज्ञानमद, तपमद, लालमद अने धनमदने जीते, एटले ए श्राप // 111 // मद तेना पूर जाय // 7 // // एकादशियें धर्म प्रत्ये करतो पंमित पुरुष अगीवार Jain Education & For Personal and Private Use Only W inbrary.org