________________ an5 // निडा, थाहार, जय, स्नेह, लजा, काम, विषय, कलह, क्रोध, ए जेट ला वधारीयें, तेटला वधे बे, अने जेटला प्रमाणे घटामीयें तेटला घटी पण जाय। // 23 // // विघ्नरूप वेल बेदवाने कुहामा सरखा एवा श्रीनेमिनाथ जगवानने नि, जाने वखते मनमा स्मरतां पुरुष माठे स्वप्ने पराजव पामे नही // 24 // // अश्वसेन | निजहारनयस्नेहलजाकामकलिकधः॥ यावन्मात्रा विधीयन्ते, तावन्मात्रा न वन्त्यमी॥ 23 // विघ्नव्रातलतानेमि, श्रीनेमि मनसि स्मरन् // स्वापकाले न रो नैव, उःस्वप्नैः परिनूयते // 24 // अश्वसेनावनीपालवामादेवीतनूरुहम् // श्रीपार्श्व संस्मरन्नित्यं, स्वप्नान्नैष पश्यति॥२॥श्रीलक्ष्मणांगसंनूतं, महसेन नृपांगजं // चंप्रनं स्मरंश्चित्ते, सुखं निजलनेत वै॥३६॥ सर्वविघ्नादिगरुडं, राजा श्रने वामा राणीनो पुत्र श्रीपार्श्वनाथ स्वामी तेने नित्य स्मरतो मा स्वप्न न देखे // 5 // तेमज लक्ष्मणा राणीनो तथा महसेन राजानो पुत्र एवो श्रीचंप्रन स्वामी तेने चित्तमां स्मरतां सुखें निझा पामे // 26 // // सर्व विघ्न रूप सर्पने हणवाने Jain Educational For Personal and Private Use Only Mainelibrary.org