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ग सि६ नरहो, वलकलचीरीय अन्न लिंगम्मि ॥ साहू सलिंग सिन् हा, श्री सि | चंदा मुदा ॥ ५७ ॥ पुंसिद्धा गोयमाई, गांगेयाई नपुंसया सिद्धा ॥ पत्ते य सयंबुझा, जलिया करकं कविलाई ॥ ५८ ॥ तद बुहबो हिगुरुबो, दिया इग | समय एग सिद्धाय ॥ इग समए वि योगा, सिद्धा ते रोगसिद्धाय ॥ ५ ॥ जयाइ होइ पुच्चा, जिला मग्गंमि उत्तरं तश्या ॥ इक्कस निग्गोयस्स, अ | त जागो य सिदिगर्ज ॥ ६०॥ इति मोहतत्त्वं ॥ इतिश्रीनवतत्त्वं समाप्तं ॥ अथ श्रीकप्रकरणं लिख्यते ॥ नमिनं चनवीस जिणे, तस्सुत्तवियारलेसदे |सप | दंडगपएहिं ते च्चिय, योसामि सुणेह जो नवा ॥ १ ॥ नेरइया असुरा ई, पुढवाइ बेंदियाद चेव ॥ गज्जय तिरिय मणुस्सा, वंतर जोइसिय वेमा | ॥ २ ॥ संखित्तयरीन इमा, सरीरमोगाहणा य संघयणा ॥ सन्ना संगण कसा य लेस इंदीय 5 समुघाया ॥ ३ ॥ दिट्ठी दंसण नाणे, जोगुवगो
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