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| स्वामीजी, मंगलिक श्री गौतमस्वामीजी, श्रीथूल जडादिक साधुजी, छाने मंगलिक जैनधर्म | मंगलिक करो ॥ २५ ॥ ॥ श्रीरुषजादिक चोवीश तीर्थकर, जरतादिक बार चक्रवर्त्ति तथा वासुदेव ने बलदेव, ए सर्वे मंगलिक करो ॥ २६ ॥ ॥ नाजिराजा, सिद्धार्थ राजा श्रादिक चोवीश जिनना पिता, जेमणें अखंड राज्य पाल्यां बे, ते मुकने जय जैनो धर्मोऽस्तु मङ्गलम् ॥ २५ ॥ नाज्ञेयाद्या जिनाः सर्वे, जरताद्याश्च च क्रिणः ॥ कुर्वन्तु मङ्गलं सर्वे, विष्णवः प्रतिविष्णवः ॥ २६ ॥ नानिसिदार्थ नूपाद्या, जिनानां पितरः समे ॥ पालिताखं साम्राज्या, जनयन्तु जयं मम | ॥ २७ ॥ मरुदेवी त्रिशलाद्या, विख्याता जिनमातरः ॥ त्रिजगजनितानन्दा, | मङ्गलाय जवन्तु मे ॥ २८ ॥ श्रीपुंमरी केन्द्रभूति, प्रमुख गणधारिणः ॥ श्रुत श्रापो ॥ २७ ॥ ॥ मरुदेवीजी त्रिशला प्रमुख जे जगतमां प्रसिद्ध, जेमणें त्रण जगतने श्रानंद थाप्यो एवी जिनजीनी चोवीश माता ते मुकने मंगलिक माटे हो ॥ २७ ॥ पुंडरीक गणधर, गौतम गणधर यादे देईनें चौदशें बावन गणधर बीजा पण श्रुतकेव
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