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वि उदय, संतंसा हुँति पंचेव॥॥बंधस्स य संतस्स य, पगइ हाणाइ तिन्नि तु बाइं॥ उदयहाणा ज्वे, चन पणग दंसणा वरणे ॥॥ बीयावरणे नव बं, ध एसु चन पंच उदय नव संता॥ बच्चन बंधे चेवं, चन बंधुदये उ संसाय ॥ नवरय बंधे चन पण, नवंस चल रुदय बच कसंता॥ वेयणियान अ गोए, वि नज मोदं परं वुद्धं ॥१॥गोअम्मि सत्त नंगा, अध्य नंगा हवंति वेयणिए ॥पण नव नव पण नंगा, आज चनकेवि कमसोज ॥११॥बावीस इकवीसा, सत्तरसं तेरसे व नव पंच॥चन तिग दुगं च इकं,बंधहाणाणिमोहस्स ॥१॥ एगं च दोव चनरो, एत्तो एगादिश्रा दसुक्कोसा ॥ देण मोहणि, उदए ग |णाणि नव हुँति॥१३॥ अज्य सत्तय बच्चन, तिग दुग एगादिश्रा नवे वीसा॥ शातेरस बारिकारस, इत्तो पंचाइ एगृणा ॥१४॥ संतस्स पयमिगणा, णि ताणि |
मोहस्स हुँति पन्नरस ॥बंधोदय संते पुण, नंग विगप्पे बहू जाण ॥२॥बब्बा
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