________________
कर्मण्य तिहुत्तर, पाणू पुण इग्ग मुहुत्तंमि ॥४०॥पणसहिसहस पण सय, उत्तासा ग्रंथ नाग मुहुत्त खुड्डनवा ॥ आवलियाणं दोसय, बप्पन्ना एग खुड्डनवे ॥४२॥ अ
विरय सम्मो तिलं, आदार उगा मराज अपमत्तो ॥ मिनादिही बंधश्, जिह हिसेस पयडीणं ॥४शा विगल सुहुमाग तिगं, तिरि मणुयाऽसुर विनविनि रय गं ॥ एगिदि थावरा यव, आईसाणा सुरुक्कोसं ॥४३॥ तिरिनरल उगु । जोअं, विछ सुरनिरय सेसचन गश्ा ॥ आहार जिण मपुवो, नियहि संजा लण पुरिस लहू ॥४४॥ सायजसु चावरणा, विग्धं सुहुमो विनवि असन्नि. सन्नीविषा न बायर, पजेगिंदीन सेसाणं ॥४५॥ नकोस जहरमीयर, नंगासा ई अणाइ धुव अधुवा ॥ चनहा सग अजहन्ना, सेसतिगे आज चनसु उदा. ॥४६॥ चनने अजहन्नो, संजलणा वरण नवग विग्घाणं ॥सेस तिगिसा अधुवो, तह चनहा सेस पयंडीणं ॥४७॥ साणा अपुवंतो, अयरतो कोडि
Lain Education
For Personal and Private Use Only
M.jainelibrary.org