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________________ विचार. मेघमाण अर्थ- श्रावण मासनी अमासने दिवसें जो सूर्य, ग्रहण होय, तो कार्तिक मासमां खरेखर मरकीनो उपव थाय.॥६॥ एवी रीते श्रावण मासनुं स्वरूप जाणवू. ॥श् ॥ हवे भादरवा मासनुं स्वरूप कहे छे. नाअपदस्य शुक्लायां, द्वितीयायां यदा नजः। मेघबन्नं तदा मह्यां, शस्यनिष्पत्तिरुत्तमा ॥१॥y NI अर्थ- लादरवा मासना शुक्लपक्ष्नी बीजने दिवसे आकाश जो वादलाउथी उवाएलु होय, तो पृथ्वी-IN मां धान्योनी उपज सारी थाय. ॥१॥ तदिने शनिवारश्चे-दाकाशं च निरन्तकम्। तदा हि शीतकालस्य, धान्यपाको न जायते । - अर्थ- वली ते नादरवा सासनी बीजने दिवसें जो शनिवार होय, अने आकाश वादलांउ विनानुं होय, तो शीयालु धान्योनो पाक न थाय. ॥२॥ नाउपदे तृतीयायां, शुक्लपक्ष यदांबरे। नैऋते विद्युतां वातो, निशीथे हि विदृश्यते ॥३॥ तदा वन्दिनवोत्पातो, जवति जननीतिदः।कृष्क्षपदे च तन्मासे, देशे ग्रामे पुरेऽथवा॥ अर्थ- जादरवा मासना शुक्लपक्ष्नी त्रीजने दिवसें श्राकाशमां नैऋत्य दिशामां मध्यरात्रिए जो वि ॥श्ए Education a l For Personal and Private Use Only @ w.jainelibrary.org
SR No.600175
Book TitleMeghmala Vichar
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1900
Total Pages68
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size6 MB
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