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__ अर्थ- वली माहावदि आठमने दिवसे सूर्य जो वादलाउथी वीटाएलो होय, तो आजै नत्रमा तथा लश्रावणने अंतें पण वरसाद थाय नहीं. ॥ ७॥ नवम्यां हि निशानाथो,निशीथे यदि नीलनः। नाषाढे सकले वृष्टि, लोके धान्यमहर्म्यता॥
अर्थ- वली माहावदि नवमीने दिवसे मध्यरात्रिए चंड जो लीली कांतिवालो होय, सो आखा असाडमासमां वृष्टि यती नथी, तथा मुनीयामां धान्य घणुं मोघु थाय. ॥ ७ ॥ माघस्य कृष्णपदे तु, सप्तम्यादिदिनत्रये। रवावस्ते यदा वृष्टि, रिधान्यं प्रजायते॥॥
अर्थ- माहा महिनाना कृमपदमां सप्तमी श्रादिक त्रण दिवसोमां (एटले सातेम, आग्मे अने नोमने |दिवसे ) जो सूर्यास्त समये वरसाद थाय, तो घणुं धान्य उत्पन्न थाय. ॥ ७ ॥
दशम्यां कृष्णपदे तु, माघमासे प्रवर्षति। तदाद्विदलधान्यस्य, मूल्यवृद्धिःप्रजायते ॥७॥ all अर्थ- माघ मासमां कृप्लपक्षमा दशमीने दिवसे जो वरसाद श्राय, तो कठोलना धान्यना मूट्यनी वृद्धि श्राय . ॥७॥
दशम्यां खातियोगे यदि पतति हिमं माघमासेंधकारो । वातो वा चंडवेगः सजलजलघनो गर्जते वाप्यजस्रम्
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