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________________ धन्ना० कणी ॥ विकसित वदन ए बुद्धि निधान, एह तो निर्मल गंग समान ॥ रा० ॥न्यायमार्गे न०३ ७५ ए वर्ने धार, सहु एहनी नरे रूमी नीर ॥ रा॥॥ परनारीथी एहने त्याग, एता दिन । हुतो सवल सोनाग ॥ रा०॥ किम कीबूं दशे एह अकाज, शू खोशे ए मूलगी लाज ॥रा० ॥३॥ चिंतीने सामंत तिवार, मूके नृप धना आगार ॥ राते पाव्या धरी मनमें धार, प्रणमी बेग धन्नाने तीर ॥ रा०॥४॥ कहे सुणो शेठ सुगुण गुणवंत, तुमे गे चतुर वि. P चरण संत ॥ रा०॥ आश्रित जन आधार अनूप, तुमे बुझे रंज्या लवि नूप ॥ रा॥५॥ 3 कार्यवशे तुमे निज आवास, राख्या हुशे परदेशी दास ॥ रा०॥ मूको एहने स्वामी सधीर, ४ 8 तुमे गे परनारीना वीर ॥ रा०॥६॥ ए अबला अकुलाये प्राम, पति विण एहने न सूझे । काम ॥रा०॥ नत्तम नर अबलानी सार, करतां कां न लावे वार ॥ रा०॥७॥ तव बो । ले धन्नो थर धीर, सोनलोने तुमे साहस धार ॥ रा०॥ अमे अन्याय न राखु चित्त, चालु P न्याय थकी अमे नित ॥रा०॥ ॥ अम माणस डे अम आगार, नृपने एहनो शोले वि| चार ॥ रा०॥राखे जो बल मनमें राय, नामे संतानिक नाम कहाय । स०॥ए॥ लक्षा-18 निक जे ताहु समर्थ, ए शो धरे अन्तिमान निरर्थ ॥रा०॥ जो संग्राम करण धरे होश, जो नावे तो तुज सोंस ॥रा०॥१०॥ सांजली धन्ना केरां वेश, नृप पासे पहोत्या ते ASSISTANI Jain Educati( national For Personal and Private Use Only T w .jainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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