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________________ 55 सेंण ॥ रा ॥ वात विचार सुणी ततकाल, नृप कोपे थयो काल कराल ॥ रा०॥११॥ वज मावी रणनेर तिवार, निसुणी सज थया सुन्नट कूफार ॥ रा०॥ हय गय रथ पायक न-2 हि पार, सैन्य थयो संग्राममें त्यार ॥रा ॥ १२॥ धन्ने पिण निज सैन्य नद्दाम, सऊ की ४ धो तिहां युध्ने काम ॥रा॥ बिरुद नणे तिहां चारण नाट, चिहुं दिशि सैन्य तणो बन्यो । थाट । रा॥१३॥जय पामे सवि पौरक लोक, सैन्योपश्व थकी धरे शोक ॥ रा०॥आ अजाण्यो किम यो काज, 'जामाताशं युः अकाज ॥ रा०॥ १४ ॥ परदेशी माटे कुPण आप, पेट चोलीने नपावे संताप ॥ रा०॥ परिजन कहे श्म जिन सुविलास, ढाल ए तेरमी त्रीजे नल्हास ॥ रा ॥ १५ ॥ ॥ दोहा. ॥ युद्ध मंमाणो जोरथी, अन्योन्ये असमान ॥ ते देखी कायर मरे, राखे । | प्रलयन ध्यान ॥१॥राय संतानिक सैन्यमें, सामंत सवि सौंमीर ॥ धन्नाशाहना कटकहूँ में, एक एह वमवीर ॥२॥ धनपुर कोसंबी विचे, रणनो करे मंमाण ॥ सयल लोक जोवा मिल्या, मूकी निज निज गण ॥३॥ १ जमाश्थी. २ नासी जवान. 52525 -5-ST Jain Education rational For Personal and Private Use Only I Alainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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