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________________ IP की, देखी देराणी नूर ॥ ३ ॥ लालच दीधी लंपटे, सुसराने धरी स्नेह ॥ मूकजो तक्रादिक नणी, लघु वधुने घरी नेह ॥४॥श्म ललचावी प्रति दिने, ललनां लीधी आज ॥ वारस / पिण पकड्या वही,अम विणसाड्यो काज ॥ ५ ॥ सुसरा सासूने वहु, त्रिएये नगंदना वीर &॥धने सरवे संग्रह्यां, धरिये किण विधि धार ॥ ६॥ तुमे न्यायी नरपाल गे, पृथ्वीना प ति शाह ॥ वहार करो वेगे हवे, करी कृपा सोचाह ॥ ७॥ एक देराणी कारणे, पंचने ये पंचत्व ॥ एह अधम तुम राज्यमें, ते किम करे निसत्व ॥ ७॥ ते मदांध शामज अयो, करे । अत्युग्र नत्पात ॥ तुमे गे केसरी तस शिरे, अहो नृपति अम तात ॥ ए॥ यतः।। नपजा-2/ तिवृत्तम्. ॥ उष्टस्यदंगःस्वजनस्यपूजा, न्यायेनकोशस्य च संप्रवृदिः॥ अपक्षपातोनिजरा ट्रचिंता, पचापिधर्माःनृपपुंगवानां ॥१॥नावार्थः-उष्ट माणसनो दंग करवो, स्वजननो है। सत्कार करवो, नायवमे धन (तिजोरी) नी वृद्धि करवी, अपक्षपातपणुं राखQ अने पोताना देशनी चिंता राखवी; ए पांचे धर्म नत्तम राजानना . ॥ १ ॥ ॥ ढाल १३ मी.॥ (राग बंगालो. राजा नहि नमे.-ए देशी.) निसुणी अबला वयण विचार, राय चिंते चित्तमें तिणिवार ॥ राजा कोपथी ॥अम, | जामात ए (नपुण सुजाण, किम एहवो करे कार्य अजाण ॥ राजा कोपथी॥१॥ए प्रां ॐॐॐॐॐ Jain Education MAnational For Personal and Private Use Only N ainelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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