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________________ धन्ना० करीने आप्यां, विसवासी धन लीधो ॥ दे० ॥१३॥ रूपवंत परनारी देखी, लीधी मदयी | न०३ उ नलाली ॥ कामिनी कंत विगेहो कीधो, हृदय न जोयो नाली ॥ दे०॥१४॥ नंदराय परे 51 परिग्रह सबला, लेई कीधा नेला ॥ ममताने वश कांड न जाएयो, जे गंमवा मरणनी वेला ॥ दे० ॥ १५ ॥ निशिनोजन जिन्नाने स्वादे, नांति नांति निपजाव्यां ॥ तेहना दोष प्रगट शिवशास्त्रे, जिनमतमें पिण आव्या ॥ दे०॥ १६ ॥ यतः॥ चत्वारि नरकहारा, प्रथम रात्रिनोजने । परस्त्रीगमनं चैव, संघानानंतकायके ॥२॥नावार्थः-रात्रिनोजन, परस्त्री | गमन, बोलअयागुं अने अनंतकायनुं लक्षण; ए चार नरकनां वारणां . ॥२॥ इत्यादि क जे पाप करमने, कीधां हशे कोई वेला ॥ तेहनां फल नदये इहां आव्यां, नोगविये सहु नेलां ॥दे॥१७॥ कहो किहां जइए किणि विधि करीए, केहने शरणे रहीए॥को न नाथ | अमारे ईहां कणे, जेहने सुख दुःख कहीए ॥ दे ॥ १७ ॥श्म विलवंते रात्रि विहाणी, ते त्रिएयेनी तिवारे ॥त्रीजे नल्हासे ढाल ए वारमी, कहि जिन श्रुत अनुसारे ॥०॥१॥ 18 ॥ दोहा. ॥ अथ प्रांते ते कामिनी , त्रिण्ये मिली तेवार ॥ कोशंबीये ततकणे, पहो । है ती नृप दरबार ॥१॥पोकारी परगट पणे, नांखे नृपने नाम ॥ दैवयोग पुःखीयां अमे, करिये परनां काम ॥२॥ सर खणतां धन्नातणो, करतां अरपूर ॥ चूक्यो धन्नो चित्त श्र Jan Educati o nal For Personal and Private Use Only Venelibrary.org
SR No.600174
Book TitleDhanna Shalibhadrano Ras
Original Sutra AuthorShravak Bhimsinh Manek
Author
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1907
Total Pages276
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size23 MB
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